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धम्म चक्र प्रवर्तन सूत्र : मानवीय दुःख विमुक्ति का निदान पत्र : ५७
६. सम्मा वायामो- कुशल कर्म करने, बुरे कर्मों को न करने, किये गये अच्छे कार्यों को बढ़ाने तथा नये कुशल कर्म करने का प्रबल प्रयास ही सम्यक् व्यायाम है।
७. सम्मा सति- सम्यक् स्मृति, याद रखना ८. सम्मा समाधि- एकाग्र चित्तता
इन आठो अंगों को प्रज्ञा, शील और समाधि तीन वर्गों में रखा गया है। प्रज्ञा के अन्तर्गत सम्यक् दृष्टि और सम्यक् संकल्प, शील के अन्तर्गत सम्यक् वचन, सम्यक् कर्म और सम्यक् आजिविका तथा समाधि के अन्तर्गत सम्यक् व्यायाम, सम्यक् स्मृति और सम्यक् समाधि को रखा गया है।
तथागत ने इसे विविध प्रकार से समझाने के बाद धम्म चक्र को गति प्रदान करने के लिये भिक्षुओं से कहा कि मैं (उरूबेला-सैनानिगम) मगध में धम्म प्रचार के लिये (धम्म चक्र को गति प्रदान कराने, घुमाने के लिये) जाता हूँ। तुम लोग भी बहुजन हित और बहुजन सुख के लिये, उनकी आर्थिक दशा सुधारने के लिये उपदेश करने के लिये जाओ। एक साथ दो न जाना। साथ ही यह भी निर्देश दिया कि ब्रह्मचर्य पालन करते हुये समाज में विचरण करो। (बह्मचर्य प्रकासयेत) और लोगों को ऐसे ही धम्मोपदेश करो जो उनके लिये प्रारम्भ, मध्य और अन्त में भी कल्याणकारी हों।११
तथागत गौतम बुद्ध के धम्म चक्र का स्वरूप क्या था? इसका विवरण साहित्य में नहीं मिलता। सबसे पहले सम्राट अशोक ने 'धम्म चक्र' को कला में उतारा। अपने पाषाण स्तम्भों पर उस 'मौर्य कुंजर' ने चौबिस तीलियों वाले धम्म चक्र को प्रतिष्ठापित किया। उसका सारनाथ स्तम्भ पर उत्कीर्णित धम्म चक्र, कला की दृष्टि से सर्वोत्कृष्ट माना जाता है। इसी स्तम्भ के शीर्ष भाग को गणतंत्र भारत में 'राष्ट्र चिह्न' और धम्म चक्र को 'राष्ट्र ध्वज चिह्न' के रूप में अपनाया गया है। साँची, भरहुत आदि प्रसिद्ध स्तूपों में भी धम्म चक्र का अंकन प्राप्त होता है।
___ धम्म चक्र में २४ तीलियाँ ही क्यों हैं, इस विषय में कुछ विद्वानों का यह रात है कि यह 'प्रतीत्य समुत्पाद की बारह कड़ियों२२ का अनुलोम और प्रतिलोम क्रम का द्योतक है। दूसरे विद्वान इन २४ तीलियों में दो अन्तर,१३ चार आर्य सत्य'४, आठ अष्टांगिक मार्ग१५ और दस पारमितायें६ समाहित मानते हैं।
धम्म चक्क पवत्तन सुत्त के विषय में एक प्रश्न यह भी उभर कर आया है कि बुद्ध ने अपना धम्म किस ओर से किस ओर को घुमाया। घड़ी की तरह बायें
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