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५० : श्रमण/जुलाई-दिसम्बर २००२ ७. आचार्य हेमचन्द्रसूरिकृत छन्दोऽनुशासन, एच०डी० वेलणकर, सिंघी जैन
ग्रन्थमाला, बम्बई. आचार्य जयचन्द्रसूरिकृत छन्दोरत्नावली, जि.नगनकोश, भाग १, एच०डी० वेलणकर, भाण्डारकर ओरियण्टल रिसर्च इन्स्टीट्यूट, पूना १९४४ ई०,
पृ० १२७. ९. महाकवि वाग्भट्टकृत छन्दोऽनुशासन, जैन साहित्य का बृहद् इतिहास,
भाग-५, पृ० १३७. १०. आचार्य कुशललाभकृत पिङ्गल शिरोमणि, जैन साहित्य का बृहद् इतिहास,
भाग-५, पृ० १३८. ११. उपाध्याय मेघविजयकृत वृत्तमौक्तिक, जैनसत्यप्रकाश, वर्ष १२, अंक ५-६. १२. शीलशेखरगणिकृत छन्दोद्वात्रिंशिका, जैन साहित्य का बृहद् इतिहास,
भाग-५, पृ० १४१. १३. उपाध्याय लालचन्द्रगणिकृत छन्दोऽवतंस, जैन संस्कृत साहित्यनो इतिहास,
खण्ड १, हीरालाल र० कापड़िया, मुक्तिकमल जैन मोहनमाला, बड़ौदा सन् :
१९५६. १४. उपाध्याय समयसुन्दरकृत आर्या-संख्या-उद्दि नष्टवर्तनविधि, जिनरत्नकोश,
हरिदामोदर वेलणकर, पूना-१९४४ ई०. १५. मुनि बिहारीकृत प्रस्तार विमलेन्दु, जैन साहित्य और इतिहास, नाथूराम, प्रेमी,
हिन्दी ग्रन्थ रत्नाकर कार्यालय, बम्बई १९४२ ईस्वी. १६. कवि राजमल्लकृत छन्दोविद्या, जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग-५,
पृ० १३८. १७. विरहाङ्ककृत वृत्तजातिसमुच्चय, जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग-५,
पृ० १४७. १८. डॉ० शिवनन्दन प्रसाद, नन्दिताढ्यकृत गाथालक्षण, मात्रिक छन्दों का
विकास. १९. कविदर्पण, जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग-५, पृ० १४८. २०. कविदर्पणवृत्ति, जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग-५, पृ० १४९. २१. छन्दाकन्दली, जिनरत्नकोश, पृष्ठ १२७. २२. रत्नशेखरसूरिकृत छन्दाकोश, जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग-५,
पृ० १४९-५०.
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