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६० : श्रमण/जुलाई-दिसम्बर २००२
भारतवर्ष में सिरोही की जैन मन्दिर गली बहुत ही विख्यात है जहाँ एक साथ १४ मन्दिरों की पंक्ति है। इस गली की विशेषता है कि मन्दिरों का उपदेश देने वाले भट्टारक गुरुओं की पौशाल (पाठशाला) भी इसी गली में है। मन्दिर बनाने वाले सेठ, शिल्पी सोमपुरे, पुजारी रावल इसी गली में रहते हैं। पास ही इन मन्दिरों की रक्षा करने वाला सिरोही दुर्ग है एवं रक्षण के लिए तलवार बनाने वाले लुहार और इन तलवारों पर म्यान चढ़ाने वाले जीनगर भी पास में ही बसे हुए हैं।
___ मध्यकाल और आजादी के पूर्व जैन श्रेष्ठी शासक वर्ग के मन्त्री पद का कार्य करते थे। इनमें मेहाजलजी, संघवी सीपाजी अकबरकालीन भारतवर्ष के जैन मन्त्रियों में विशेष स्थान रखते थे। इन्होंने सिरोही का सबसे ऊँचा चौमुखा मन्दिर बनवाया था।
सन्दर्भ
१. महोपाध्याय विनयसागर, संपा०- राजस्थान का जैन साहित्य, प्राकृत भारती,
जयपुर १९७७ ईस्वी, पृ० २३. २. कैवल्य प्राप्ति से पूर्व ३. डॉ० सोहनलाल पाटनी, हस्तिकुण्डी का इतिहास, द्वितीय संस्करण,
१९८३, पृ० २६. ४. अजितप्राच्य एवं समाजविद्या संस्थान के संग्रह से।
मुनिजयन्तविजय, संपा०- अर्बुदाचलप्रदक्षिणाजैनलेखसन्दोह, लेखांक १५१, पृ० १०३.
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