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जैन संस्थाएँ एवं समाज में उनका योगदान : १२१
नामक पत्रिका के प्रकाशन प्रारम्भ कर सफलतापूर्वक लम्बे समय तक इसका संचालन किया। १६
श्री दिगम्बर जैन महासमिति
इसकी स्थापना सन् १९७५ में की गयी। इसका मुख्य उद्देश्य दिगम्बर जैन समाज में एकता, समन्वय एवं पारम्परिक प्रेम की भावना जागृत करना है। यह दिगम्बर जैन समाज का सबसे बड़ा एवं सशक्त प्रतिनिधित्व करने वाला संगठन और जैन समाज की एकता का प्रतीक है। १७
श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन शान्तिवीर सिद्धान्त संरक्षिणी सभा
इस संस्था का निर्माण मुख्य रूप से धार्मिक क्रिया-कलापों एवं गतिविधियों के संचालन हेतु किया गया। इसी संस्था से " जैनदर्शन" नामक पत्र के प्रकाशन भी प्रारम्भ किया गया । १८
भारतवर्षीय दिगम्बर जैन शास्त्रि परिषद्
इसकी स्थापना सन् १९२० में हुई। इसका मुख्य उद्देश्य सम्पूर्ण दिगम्बर जैन विद्वानों को एक मंच पर लाना तथा उनमें धर्म, संस्कृति एवं साहित्य की सेवा की भावना जागृत करना है।
भारतवर्षीय दिगम्बर जैन विद्वत् परिषद्
इसकी स्थापना २ फरवरी १९४८ में कलकत्ता में हुई। इस संस्था का मूल उद्देश्य दिगम्बर विद्वानों को एकसूत्र में बांधना, उनमें साहित्यिक अभिरुचि तथा समाज में जागृति पैदा करना है। १९
भारतवर्षीय दिगम्बर जैनतीर्थ क्षेत्र कमेटी
श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभा के अंग के रूप में २४ नवम्बर १९३० में भारतवर्षीय तीर्थ संरक्षिणी महासभा की स्थापना हुई । २° दिगम्बर जैनतीर्थ क्षेत्रों, जिन मन्दिरों, प्रतिमाओं, जैन कलाकृतियों एवं धर्म आयतनों की रक्षा एवं व्यवस्था ही इस संस्था का मूल उद्देश्य है। तीर्थ क्षेत्रों के संरक्षण एवं जीर्णोद्धार का सम्पूर्ण कार्य इस संस्था द्वारा संचालित किया जाता है।
अखिल भारतवर्षीय संस्थाओं के अतिरिक्त २०वीं शताब्दी के प्रारम्भ में जिन जातीय महासभाओं की स्थापना हुई उसमें खण्डेलवाल जैन महासभा प्रमुख है। इसकी स्थापना २८ फरवरी १९१९ को बम्बई में हुई। इसका मुख्य उद्देश्य अपनी ज्ञाति का संगठन, जाति सुधार, शिक्षा का प्रचार-प्रसार एवं जातीय संगठनों के नाम से विद्यालयों
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