Book Title: Sramana 2002 07
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 171
________________ १६६ : श्रमण/जुलाई-दिसम्बर/२००२ लक्ष्य है। डॉ० रजनी रामपुरिया द्वारा प्रथम दिन ६० नेत्र रोगियों की शल्यचिकित्सा की गयी। प्रत्येक रविवार को यहां ५० रोगियों की निःशुल्क शल्यचिकित्सा का लक्ष्य रखा गया है। इस अवसर पर श्रीमती वसन्ती देवी कांकरिया ने एक लाख, श्री रिखबदास जी भंसाली ने ५० हजार, श्रीमती फूलकुमारी कांकरिया ने ७० हजार तथा अन्य समाजसेवी परिवारों द्वारा दान की बड़ी रकम घोषित की गयी। स्थानकवासी समाज, कोलकाता द्वारा किया जा रहा यह कार्य हम सभी के लिए अनुकरणीय है। ऐसे पुण्यकार्य के लिए स्थानकवासी जैनसभा, कोलकाता के सभी सदस्य बधाई के पात्र हैं। हरिद्वारतीर्थ पर पौष दशमी का भव्य कार्यक्रम सम्पन्न हरिद्वार ३१ दिसम्बर : श्री चिन्तामणि पार्श्वन जैन श्वेताम्बर तीर्थ, हरिद्वार की पुण्यभूमि पर भगवान् पार्श्वनाथ जन्म कल्याणक महोत्सव दिनांक २८-२९-३० दिसम्बर को पूज्य आचार्य श्रीमद्विजयचन्द्रसेनसूरीश्वर जी महाराज ठाणा ५ के पावन सान्निध्य में मनाया गया। इस अवसर पर विशाखापट्टनम् से ८०० यात्रियों का एक संघ भी यहाँ आया। . पत्राचार प्राकृत सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम सम्बन्धी सूचना दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी द्वारा विगत वर्षों से संचालित अपभ्रंश साहित्य अकादमी द्वारा ‘पत्राचार प्राकृत सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम' प्रारम्भ किया जा रहा है। सत्र १ जुलाई २००३ से प्रारम्भ होने जा रहा है। इसमें प्राकृत, संस्कृत, हिन्दी एवं अन्य भाषाओं/विषयों के प्राध्यापक, अपभ्रंश-प्राकृत शोधार्थी एवं संस्थानों में कार्यरत विद्वान् सम्मिलित हो सकेंगे। नियमावली एवं आवेदनपत्र दिनांक २५ मार्च से १५ अप्रैल २००३ तक अकादमी कार्यालय, दिगम्बर जैन नसियाँ भट्टारकजी, सवाई रामसिंह रोड, जयपुर-३०२००४ से प्राप्त करें। कार्यालय में आवेदनपत्र पहुँचने की अन्तिम तारीख १५ मई २००३ है। स्मृति शेष डॉ० के० आर० चन्द्रा दिवंगत ___अहमदाबाद ६ अक्टूबर : प्राकृत-भाषा और साहित्य के तलस्पर्शी विद्वान्, सुप्रसिद्ध चिन्तक और संशोधक डॉ० के०आर० चन्द्रा का ५ अक्टूबर को अहमदाबाद में प्रात: ९.३० बजे लगभग ६५ वर्ष की अवस्था में निधन हो गया। आप पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे। गजसत विश्वविद्यालय, अहमदाबाद में प्राकृत-भाषा-विभाग के अध्यक्ष For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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