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७० : श्रमण/जुलाई-दिसम्बर २००२
देवभद्रसूरि भद्रंकरसूरि
प्रभानन्दसूरि श्रीचन्द्रसूरि जिनभद्रसूरि
गुणचन्द्रसूरि अभयदेवसूरि (तृतीय)
जयानन्दसूरि
वर्धमानसूरि (द्वितीय) (वि.सं. १४६८/ई.सन् १४१२ में
आचारदिनकर के रचनाकार) ९. शीलवतीकथा - यह सम्बद्ध गच्छ के आनन्दसूरि के शिष्य आज्ञासुन्दरसूरि द्वारा रची गयी है इसका रचनाकाल वि.सं. १५६२/ई.सन् १५०६ बतलाया गया है। इसकी एक प्रति जैसलमेर के तपागच्छीय ग्रन्थ भण्डार में संरक्षित है। चूंकि इस भण्डार के हस्तलिखित ग्रन्थों की प्रशस्तियाँ अभी प्रकाशित नहीं हो सकी हैं, अतः हम ग्रन्थकार के गच्छ और गुरु के नाम तथा रचनाकाल आदि के अतिरिक्त कोई विशेष बात ज्ञात नहीं कर पाते हैं।
आनन्दसुन्दरसूरि
आज्ञासुन्दरसूरि मुनियों के सुन्दरान्त नामों का प्रयोग सर्वप्रथम तपागच्छ में प्रारम्भ हुआ, बाद में खरतरगच्छ में भी इसका प्रयोग होने लगा जैसे सोमसुन्दर, भुवनसुन्दर, आनन्दसुन्दर आदि।
उक्त साहित्यिक साक्ष्यों द्वारा ज्ञात छोटी-बड़ी गुर्वावलियों के परस्पर समायोजन से इस गच्छ के मुनिजनों के गुरु-शिष्य-परम्परा की एक विस्तृत तालिका निर्मित होती है जो इस प्रकार है :
द्रष्टव्य- तालिका संख्या-१
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