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८८ : श्रमण/जुलाई-दिसम्बर २००२ (स)
देवसुन्दरसूरि (वि.सं. १५१९-१५३६)
प्रतिमालेख गुणसुन्दरसूरि
गुणसमुद्रसूरि (वि.सं. १५२८-१५५३) (वि.सं. १५५३-१५७०) प्रतिमालेख
प्रतिमालेख
गुणप्रभसूरि (वि.सं. १५९९)
प्रतिमालेख
(द)
जिनदत्तसूरि
देवसुन्दरसूरि (वि.सं. १५३८-१५५६)
प्रतिमालेख
(क)
देवसुन्दरसूरि
विवेकसुन्दरसूरि
हेमरत्नसूरि
सोमरत्नसूरि लक्ष्मीरत्नसूरि
गुणरत्नसूरि ___ उक्त छोटी-छोटी पांच गुर्वावलियों (अ, ब, स, द और क) में से व और क में परस्पर समायोजन सम्भव हो सकता है, और दोनों को संयुक्त रूप से निम्नानुसार रखा जा सकता है : द्रष्टव्य- तालिका क्रमांक ३
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