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जैनागमों में शिक्षा का स्वरूप : १०३
भारिया धम्म-सहाइया, धम्म-विइज्जिया।
धम्माणुरागरत्ता, समसुह-दुक्ख-सहाइया।।३१ अर्थात् पत्नी धर्म में सहायता करने वाली, साथ देने वाली अनुरागयुक्त तथा सुख-दुःख को समान रूप में बांटने वाली होती है। कहने का तात्पर्य यह है कि हम दुनिया की सभी सूचनाएँ प्राप्त करें, विज्ञान व भौतिक जगत् का पूर्ण ज्ञान प्राप्त करें, सारी उपलब्धियाँ प्राप्त करें। लेकिन इन सबके साथ धर्म के जीवन-मूल्यों की उपेक्षा नहीं करें। उस स्थिति में विज्ञान भी विनाशक शक्ति न होकर मानव जाति के लिए कल्याणकारी सिद्ध होगा। तीन प्रकार के आचार्य
राजप्रश्नीयसूत्र में तीन प्रकार के आचार्यों का उल्लेख है- कलाचार्य, शिल्पाचार्य और धर्माचार्य। कलाचार्य जीवनोपयोगी ललितकलाओं, विज्ञान व सामाजिक ज्ञान जैसे विषयों की शिक्षा देता था। भाषा और लिपि, गणित, भूगोल, खगोल, ज्योतिष, आयुर्वेद, संगीत और नृत्य इन सबकी शिक्षाएँ कलाचार्य प्रदान करता था। जैनागमों में पुरुषों की ६४ और स्त्रियों की ७२ कलाओं का विवरण मिलता है। दूसरी प्रकार की शिक्षा शिल्पाचार्य देते थे जो आजीविका या धन के अर्जन से सम्बन्धित थी। शिल्प, उद्योग व व्यापार से सम्बन्धित सारे कार्यों की शिक्षा देना शिल्पाचार्य का कार्य था। इन दोनों के अतिरिक्त तीसरा शिक्षक धर्माचार्य था, जिसका कार्य धर्म की शिक्षा प्रदान करना व चरित्र का विकास करना था। धर्माचार्य शील और सदाचरण का ज्ञान प्रदान करते थे। इन सब प्रकार की शिक्षाओं को प्राप्त करने के कारण ही हमारा श्रावक समाज बहुत सम्पन्न था। सामान्य व्यक्ति उनको श्रेष्ठी और साहूकार जैसे आदरसूचक सम्बोधन से पुकारता था। भगवान् महावीर ने कहा है- "जे कम्मे सूरा ते धम्मे सूरा'' अर्थात् जो कर्म में शूर होता है, वही धर्म में शूर होता है। चरित्र को उन्नत बनाएं
आज सूचना तकनीक का द्रुतगामी विकास हुआ है। रेडियो, टी०वी०, कम्प्यूटर, इण्टरनेट आदि द्वारा विश्व का सम्पूर्ण ज्ञान सहजता से उपलब्ध हो रहा है, लेकिन अगर बालक के चरित्र निर्माण पर ध्यान नहीं दिया गया तो ये वैज्ञानिक साधन उसे पतित कर सकते हैं। आज विश्व के सर्वाधिक समृद्ध राष्ट्र अमेरिका का एक विद्यार्थी १८ वर्ष की उम्र तक कम से कम १२००० हत्याएँ, बलात्कार आदि के दृश्य टी.वी. आदि पर देख लेता है। उस विद्यार्थी के कोमल मस्तिष्क पर इसका कितना भयंकर प्रभाव पड़ता है? आज यही तकनीकी हमारे देश में भी सुलभ हो गयी है। अनेक प्रकार के चैनल व चलचित्र टी०वी० पर प्रदर्शित होते हैं जो २४ घण्टे चलते रहते हैं। उनमें से अनेक हिंसा एवं अश्लीलता को बढ़ावा देने वाले और
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