________________
अर्बुद मण्डल में जैनधर्म
डॉ० सोहनलाल पाटनी
तीर्थाधिराज आबू संसार के दर्शनीय स्थानों में से एक है। यह तीर्थ भारतवर्ष का शृङ्गार है, सिरमौर है। विश्व का कोई भी पर्यटक आबू के कला-वैभव को देखे बिना हिन्दुस्तान के भ्रमण को अधूरा मानता है। आबू हमारा प्रागैतिहासिक, पौराणिक एवं ऐतिहासिक तीर्थस्थल है। हिन्दुओं का आदितीर्थ, जैनों का धर्म संस्कृति एवं कला का सङ्गम तथा अन्य धर्मों के लिए भी यह पावनभूमि है। प्राचीन युग में अर्बुद मण्डल का अपना एक राजनैतिक स्वरूप था। इसकी सीमाएँ पूर्व में मेदपाट, पश्चिम में भीनमाल, उत्तर में मरुवाटक एवं दक्षिण में गुजरात से लगती थी। चन्द्रावती इस परिमण्डल की राजधानी थी। भगवान् महावीर के अर्बुद मण्डल में विचरण के सन्दर्भ
___ आज के राजस्थान प्रदेश के इतिहास निर्माण में अर्बुद मण्डल की जैन-संस्कृति का स्थान महत्त्वपूर्ण है। यहाँ की संस्कृति एवं जैन मन्दिरों की स्थापत्यकला ने राजस्थान एवं गुजरात के इतिहास को प्रभावित किया है। साहित्य की रचना यहाँ विपुल परिमाण में हुई। धर्म धुरन्धर आचार्यों की जन्मस्थली एवं विचरण स्थानों का यह प्रदेश रहा है। ४४३ ई० पूर्व का एक प्राचीन शिलालेख राजस्थान के अजमेर जिलान्तर्गत बडली' ग्राम में मिला है। यह लेख भगवान् महावीर के निर्वाण के ८४ वर्ष के बाद का है, इसमें महावीर प्रभु के निर्वाण का उल्लेख है। भगवान महावीर का सैतीसवां चातुर्मास अर्बुद मण्डल के वरमाण (वर्द्धमान) गांव में हुआ था। यह गांव रेवदर तहसील में सिरोही-डीसा राजमार्ग पर स्थित है। यहाँ भगवान् महावीर का प्राचीन मन्दिर एवं सातवीं शताब्दी का एक भग्न सूर्य मन्दिर है। भगवान महावीर से सम्बन्धित जितने गांव आबू क्षेत्र में मिलते हैं उतने और कहीं नहीं। नाणा, दियाणा, नांदिया “जीवत स्वामी वांदिया" अर्थात् नाणा, दियाणा एवं नांदिया में भगवान् महावीर की जीवनकाल की स्थापित मूर्तियाँ हैं। नाणा पाली-सिरोही जिले का सीमान्त गांव है। दियाणा आबू की तलेटी में वासस्थानजी के पास है एवं नांदिया ब्राह्मणवाडा के पास है। ये गांव पुराने आबू पर्वत के मार्ग में पड़ते थे। इसके अतिरिक्त भी पिण्डवाडा तहसील के वीरोली #. निदेशक, अजित प्राच्य एवं समाज विद्या संस्थान, शान्तिनगर, सिरोही
(राजस्थान).
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org