Book Title: Prakrit Bhasha Vimarsh
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: B L Institute of Indology

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Page 61
________________ ६. प्राकृत कामधेनुका - १०वीं शताब्दी के आसपास लंकेश्वर रावण द्वारा रचित इस लघुकाय ग्रन्थ में मात्र ३४ सूत्र हैं । ७. संक्षिप्तसार - क्रमदीश्वर ने आचार्य हेमचन्द्र की तरह संक्षिप्तसार नामक इस संस्कृत प्राकृत-व्याकरण की रचना की है। इसके आरम्भ के सात अध्यायों में संस्कृत तथा अंतिम अष्टम अध्याय में प्राकृत व्याकरण प्राकृत प्रकाश के आधार पर लिखा है। ८. प्राकृत कल्पतरु कृत यह प्राकृत भाषा का व्याकरण ग्रन्थ पद्यबद्ध है। १५वीं शताब्दी के रामशर्म तर्कवागीश भट्टाचार्य ९. षड्भाषा चंद्रिका - १६वीं शती के प्रसिद्ध विद्वान् लक्ष्मीधर कृत इस प्राकृत व्याकरण के ग्रन्थ में त्रिविक्रम के सूत्रों का संकलन किया गया है तथा सूत्रकार ने इसपर स्वयं वृत्ति लिखकर सेतुबन्ध, गउडवहो, गाहा सत्तसई, कप्पूरमंजरी आदि ग्रन्थों के उदाहरण दिये हैं। १०. प्राकृत चंद्रिका १६वीं शती के प्रसिद्ध शेष श्रीकृष्ण ने इस प्राकृत व्याकरण ग्रन्थ की रचना ४४९ पद्यों में की है। - ११. प्राकृत - मणि- दीप - १६वीं शती के प्रसिद्ध अप्पयदीक्षित ने इस प्राकृत व्याकरण ग्रन्थ की रचना की है। १२. प्राकृतानन्द - पंडित रघुनाथ कवि (१८वीं शती) कृत यह एक महत्त्वपूर्ण प्राकृत का ग्रन्थ है। इसकी एक हस्तलिखित पाण्डुलिपि भोगीलाल लहेरचन्द इन्स्टीट्यूट ऑफ इण्डोलॉजी, दिल्ली के हस्तलिखित शास्त्र भण्डार में सुरक्षित है। Jain Education International १३. प्राकृत रूपावतार सिंहराज (१५वीं शती) कृत यह ग्रन्थ भी त्रिविक्रम के प्राकृत शब्दानुशासन का अनुकरण मात्र है । - ४८ For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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