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अवसर मिलता है। साथ ही हमें एक साथ एक ही स्तवन में प्राकृत की छह भाषाओं का स्वरूप भेद भी स्पष्ट हो जाता है। यहाँ यह सम्पूर्ण स्तवन प्रस्तुत है - संस्कृत
नमो महसेन नरेन्द्रतनूज जगज्जनलोचन भंगसरोज । शरद्भवसोमसमद्युतिकाय दयामय तुभ्यमनंत सुखाय ॥१॥ सुखीकृतसादरसेवकलक्ष विनिर्जित दुर्जयभावविपक्ष ।
सुरासुरवृंदनमस्कृतनंद महोदयकल्प महीरुहकंद ॥२॥ प्राकृत (महाराष्ट्र प्राकृत)
जयनिरसियतिहुयण जंतु भंति जयमोहमहीरुह दलणदंति । जयकुंदकलियसमदंतिपंति जय जय चंदप्पहचंदकंति ॥३॥ जय पणयपाणिगणकप्परुक्ख जय जगडिय पयड कसायख्क ।
जयनिम्मलकेवलणाणगेह जयजय जिणिंद अप्पडिमदेह ॥४॥ शौरसेनी
विगद दुह हेदुमोहारि केइदयं दलिदगुरुदुरिदमध विहिद कुमुदख्कयं ॥ नाथ तं नमदि जोसदनदवत्सलं लहदि निव्वुदि गदिसाददं निम्मलं ॥५॥
. मागधी
अश्रुलथुलविसलनललाय सेविद पदे । नमिल जय जंतु तुदि दिन्नशिव पुलपदे ॥ दलनपुलनिलद संसालिसलसीलुहे। देहि मे सामि तंसालसासदपदे ॥६॥
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