Book Title: Prakrit Bhasha Vimarsh
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: B L Institute of Indology

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Page 135
________________ अहमेक्को खलु सुद्धो दंसण-णाण मंइओ सया रूवी। ण वि अस्थि मज्झ किंचिवि अण्णं परमाणु मेत्तं वि॥ एगो मे सस्सओ अप्पा णाणदंसण लक्खणो। सेसा मे बाहिरा भावा सव्वे संजोग लक्खणा॥ . धम्मो मंगलमुक्किठें, अहिंसा संजमो तवो। देवा वि तं नमसंति, जस्स धम्मे सया मणो॥ इत्थं सद्धबारहसंच्छरपेरंतं दीहं तवं तेण कयं। तवं कुंणन्तेण तेण अणेगे उवसग्गा समयाभावेण सोढा। परंतु सो झाणाओ ण भट्ठो। थिरभावाओ तेण किंचि वि अविचलिऊण अहकट्टेण तवं कयं। एगया सो उज्जुवालिया णईअडे सालवच्छस्स हेढे झाणं झायन्तो आसि, तया तस्स सव्वोच्चणाणं केवलणाणं समुप्पण्णं। तेण सो अरिहन्तो सब्वण्णू सव्वदंसी वीयराई य जाओ। उत्तं च तिलोयपण्णत्तिम्मि ४/१७०१ वइसाहसुद्धदसमी मघारिक्खम्मि वीरणाहस्स। रिजूकूलणदीतीरे अवरण्हे केवलं णाणं। भगवंतेण पढमा देसणा रायगिहणगरस्स विउलाचले दत्ता। जिणधम्मे तस्स धम्मसहा ‘समोसरणं' त्ति कंहिज्जइ। तस्स समोसरणं सव्वोदयतित्थो भवइ। जंसि पसु-पक्खी-देव-दाणव-मणुस्साई उवएसं सोउं आगच्छति। महावीरस्स एक्कारस गणहरा अहेसि। तस्स उवएसस्स अद्धमागही भासा आसी। आगमे उत्तं - भगवं च णं अद्धमागहीए भासाए धम्ममाइक्खइ। भगवया धम्मदेसणाए एवं पण्णत्तं- धम्मो दुविहो-पढमो समणाणं विदिओ गहत्थाणं च। समणाणं धम्मे अट्ठावीसा मूलगुणा सन्ति। उत्तं च - पंच य महव्वयाई समिदीओ पंच जिणवरुद्दिट्ठा। पंचेविंदियरोहा छप्पि य आवासया लोचो॥ १२२ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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