________________
प्राकृत भाषा के विकास हेतु केन्द्र सरकार के समक्ष
प्रस्तुत छह सुझाव
संस्कृत/प्राकृत/पालि भाषा के विकास हेतु दिनांक २२ जनवरी सन् २०१३ को मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा गठित "राष्ट्रीय संस्कृत परिषद्” की बैठक केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री माननीय श्री एम. एम. पल्लम्म राजु जी की अध्यक्षता में शास्त्री भवन में आयोजित हुई। जिसमें देश के ख्यातिलब्ध भाषाविद्, देश के सभी संस्कृत विश्वविद्यालयों के माननीय कुलपति एवं सभी संस्कृत अकादमियों के सचिव, उच्च शिक्षा सचिव तथा संबंधित अनेक विशिष्ट अधिकारी एवं सदस्य सम्मिलित हुए।
इस परिषद् में प्राकृत भाषा की ओर से नामित सदस्य प्रो. फूलचन्द जैन प्रेमी निदेशक, बी. एल. इन्स्टीट्यूट ऑफ इण्डोलॉजी, दिल्ली एवं पालि भाषा की ओर से प्रो. भागचन्द जैन भास्कर, नागपुर सम्मिलित हुए।
सर्वप्रथम इस परिषद् के सदस्य सचिव एवं राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के मा. कुलपति प्रो. राधावल्लभ त्रिपाठी ने इस परिषद की पूर्व आयोजित बैठक तथा अन्य प्रगति रिपोर्ट के साथ ही राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान एवं उसके दस परिसरों, आदर्श योजनाओं आदि की प्रगति आख्या का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया। कुछ माननीय सदस्यों ने संस्कृत भाषा के विकास एवं उसके व्यापक प्रचार-प्रसार हेतु अपने सुझाव एवं नई योजनायें केन्द्र सरकार के समक्ष प्रस्तुत की।
प्राकृत भाषा और साहित्य के विकास हेतु प्रो. फूलचन्द जैन प्रेमी द्वारा प्रस्तुत किये गये सुझावों को मा. मंत्री महोदय एवं सम्पूर्ण परिषद् ने गम्भीरता से सुना, विचार किया और इन्हें परिषद् की कार्यवाही में सम्मिलित कर लिया गया है।
१३८
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org