Book Title: Prakrit Bhasha Vimarsh
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: B L Institute of Indology

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Page 153
________________ पर वैकल्पिक रूप में प्राकृत भाषा के पाठ्यक्रम के अध्ययन का प्रावध ान किया जाये। इससे अब तक प्राकृत में उच्च शिक्षा प्राप्त शताधिक युवा विद्वानों को रोजगार के अवसर भी प्राप्त हो सकेंगे, साथ ही माध्यमिक कक्षाओं से ही प्राकृत भाषा के अध्ययन के प्रति छात्रों में आकर्षण बढ़ेगा और इससे प्राकृत भाषा के व्यापक प्रचार-प्रसार एवं अध्ययन को भी अधिक बढ़ावा मिलेगा। ५. राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के परिसरों में प्राकृत विभाग की स्थापना - राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के दस परिसरों में से किसी भी परिसर में स्वतंत्र विभाग के रूप में प्राकृत विभाग नहीं है। इससे प्राकृत भाषा और साहित्य के अध्ययन के इच्छुक छात्र वंचित रह जाते हैं। अत: प्रारम्भिक चरण में किसी एक उपयुक्त परिसर में स्वतंत्र प्राकृत विभाग की स्थापना की जाये। ६. प्राकृत एवं पालि दोनों भाषाओं के विद्वानों को प्रत्येक वर्ष राष्ट्रपति पुरस्कार का प्रावधान - अभी तक प्राकृत एवं पालि भाषा के विद्वानों में से बारी-बारी से प्रतिवर्ष किसी एक भाषा के विद्वान् को क्रमशः राष्ट्रपति पुरस्कार प्रदान किया जाता है। अतः प्राकृत एवं पालि दोनों के अलग-अलग विद्वानों को प्रतिवर्ष राष्ट्रपति पुरस्कार प्रदान किया जाये। साथ ही पुरस्कार की सम्मानित राशि भी संस्कृत भाषा के पुरस्कार की तरह प्रदान की जाये। विशेष - यदि केन्द्र और राज्य सरकारें आरम्भिक रूप में चरणबद्ध पद्धति से उपर्युक्त सुझावों को कार्यान्वित करती हैं तो निश्चित ही प्राकृत भाषा और साहित्य का विकास सुगमता से संभव है। राज्य सरकारों को भी संस्कृत और हिन्दी आदि अकादमी की तरह प्राकृत भाषा की अकादमी स्थापित करने हेतु पहल करनी चाहिये। १४० Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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