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हुआ । काल क्रम से रुक्मिणी के प्रद्युम्न पुत्र उत्पन्न हुआ । इसे जम्म लेने के छठे दिन ही शम्बरासुर ने हर लिया और उसे लवण समुद्र में डाल दिया। समुद्र में उस बालक को एक मत्स्य ने निगल लिया। मछेरों ने उस मत्स्य को अपने जाल में फांस लिया और शम्बर को भेंट कर दिया। जब शम्बर की स्त्रो मायावती उस मछली का पेट चीरने लगी तो वह बालक उसमें से जीवित निकल आया। इतने में ही वहां नारद ऋषि आये और रानी को सारी घटना सुना दी। मायावती उस बालक पर मोहित हो गई और उसका अनुरागपूर्वक पालन किया। उसने उसे सब प्रकार की माया सिखा दी । जब प्रधुम्न को अपनी पूर्व घटना का पता चला तो उसने शम्बरासुर को लड़ने के लिये ललकारा और उस युद्ध में मार दिया तथा अन्त में मायावती के साथ द्वारका के लिये रवाना हो गया । जब वह वहां पहुँचा तो रुक्मिणी उसे पहिचान न सकी, किन्तु नारद ऋषि के आने पर सारी घटना स्पष्ट हो गई। कुछ दिनों पश्चात् धम्न ने रुक्मी की सुन्दरी कन्या को स्वयंवर में ग्रहण किया तथा उससे अनिरुद्ध नामक महापराक्रमी पुत्र उत्पन्न हुश्रा ।
___ उक्त कथा और प्रद्य म्न चरित्र में निम्न प्रकार से साम्य एवं असाम्य है :साम्य--(१) प्रद्युम्न को श्री कृष्ण एवं रुक्मिणी का पुत्र मानना ।
(२) जन्म के छठी रात्रि को ही असुर द्वारा अपहरणं । (३) नारद ऋषि द्वारा रुक्मिणी को आकर सारी स्थिति समझाना ।
(४) रुक्मी की पुत्री से प्रद्युम्न का विराइ । असाम्य-प्रद्युम्न को शम्बरासुर द्वारा समुद्र में डाल देना तथा वहां उसे
मस्य द्वारा निगल जाना और फिर उसी के घर जाकर मत्स्य के पेट से जीवित निकलना, मायावती का मोहित होना और बालक प्रद्युम्न का पालन करना और अन्त में युवा होने पर शम्बरासुर
को मार कर मायावती से विवाह करना।
कथाओं के साम्य और असाम्य होने पर भी इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि भारतीय वाङ्मय में प्रद्युम्न का चरित लोकप्रिय एवं आकर्पण की बस्तु रहा है।
बौद्ध साहित्य में प्रद्युम्न का उल्लेख है या नहीं और यदि है तो किस रूप में है साधनाभाव के कारण इसका पता इस नहीं लगा सके।