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प्रद्युम्न द्वारा मायामयी मच्छर की रचना करना तउ मयरधउ काही करइ, मायामइ मछर रचि धरइ । तिहि ठा भानु सपतउ जाइ, खाजतु मछर चलिउ पलाइ ।।३५५।। भानु भाजि गिय मंदिरि गयउ, पहरकु दिवसु आइ तिह भहउ ! तंखिरिण वह वरकामिणी मिली, भानइ तेल चढावरण चली ॥३५६॥
प्रद्युम्न द्वारा मगल गीत गाती हुई
स्त्रियों के मध्य विघ्न पैदा करना तेल चढावहि करइ सिंगारु, सूहउ गाबइ मंगलुचारु । रथ चढि कुवरिति उभीभइ, फुरिण मटियाणुउ पूजण गइ ॥३५७।। तवइ मयण सो काहो करइ, ऊँटु तुरंगु जोति रथ चढइ । ऊटु तुरंगु सुप्रठे अरडाइ, भानु रालि घोडउ घर जाइ ॥३५८॥ पडिउ भानु उइ 'दिलखीभई, गावत पाइ रोवति गइ। उद तुरंग उठे अरराइ, असगुन भयो न जाण न जाइ ।।३५६॥
(३५५) १. काहङ (क) भइसा (ग) २. मायारूप (ग) ३. सह करइ (क) रचिति घर (ग) ४. मूलपाठ तहां जाउ (ग) भानुकुमरु तउ पहुंता भाइ (ग) ५. साजत (क) खाजन (ब) ६. माछर (क ग)-७. चलउ (क ख) निरिण रहो मो चलो पलाइ (ग)
(३५६) १. जिन (क ग) २. प्राइ तिह भयो (क) तहाँ तिषु भया (ग) ३. नयरी (ग)
(३५७) १. तितु (ख) २. बढुवाह (ख) ३. असइ (क स्त्र) तब से (ग) ४. कुवरति (क) ते (ख)-चढयो कुवर रथि प्रागे भयो (ग) ५ मटियागो (क) मडियारणउ (ख) मवियाण्ड (ग)
(३५८) १. तहि अइसो करइ (ग) २. जोडि (ग) ३, चलइ (क ख) घरह (ग) ४. उठचा पराइ (क ख) तहि उर सो करइ पुकार (ग) ५. प्रसवरण भयो र जगह मुहाइ (क) घोडा भागा भानहि मार (ग)
(३५६) १. तब विलखा भया (ग) २. गाये थी सो घर कह गया (ग) ३. प्रसवश (ख) नोट--यह पञ्च क प्रति में नहीं है ।