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( १५.)
पवन बेग विजाहरराउ, जिसकी संयनु न सूझइ ठाउ। ... रतिभामा जो कन्ह कुमारि, सो प्राणी बारमइ मारि ॥५७२।।
यमर्सवर एवं श्रीकृष्ण का प्रथम मिलन जमसंबरु भेटिउ हरिराउ, बहुत भगति बोलइ सतिभाउ । तइ वालउ.पालिउ परदवणु, तुहि समुसुजन नही मुहि कम्वण ॥५७३!। तब रूपिरिण वोलइ तिहि ठाइ, कनकमाल के लागी पाइ । किम्बहउँ उरगि होउ घर तोहि, पूत भीख दीनी तइ मोहि ।।५७४।।
प्रय म्न का विवाह लग्न निश्चित होना वहु प्रायउ करि कीयउ उछाहु, मयण कुवर को ठयउ विवाहु । धरि लग्न. जो इसी हकारि, तव मन तूठउ कन्ह मुरारि ॥५७५।। हडे बंस त्रि मंडपु ठयउ, बहुत भंती ते तोरणु रहउ । कापरछाए बहु विथार, कनक कलस डोलहि सिंहबार ॥५७६।।
. विवाह में आने वाले विभिन्न देशों के राजाओं के नाम । करिसामहरण सयल निकुताइ, प्रागै निमति पुहमि के राइ । मंडलीक जे पुहिम असेस, अाए द्वारिका सयन नरेस ॥५७७।।
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अंग बंग कलिंगह तरणे, दोप समूद के भूजही घऐ। लाड चोर कानके जिकीर, गाजणवइ मालव कसमीर ॥५७८।।
(५७२) १. लिहि कई सइनि (ग) २. रतिनामा (ख)
(५७६) १. हरे (ख) हरद () २. कौतिगुनया (ख) ३. सिंह नुवारि (ख) दीपहि पनि वारि (ग) I (५७७) १. करिसम लहण (ख) २. अनेक, पुहमि के भउते राष्ट्र (ग)
:: :: (५७८) १. कालिमह (ख) तिलंगह (ग) २. कानाडे किकीर (स) लाडग । उक्षक भषन कसमीर (ग) ३. गाजणीत मल्लिया बनुधीर (ग) .