________________
( १५.१ )
श्रीकृष्ण और रुक्मिणी का वन में विवाह
(६) जब मुड़कर हलधर और कृष्ण चले तो वन में एक मंडप को देखा। जहां अशोक वृक्ष की छाया थी वहां वे तीनों पहुँचे ।
( 53 ) तब उनके मन में बड़ी खुशी हुई | आज लग्न है इसलिये विवाह कर लें । भ्रमर की ध्वनि ही मानों मंगलाचार हो रहा है तथा तो मानों वेद पाठ कर रहे हैं ।
(क) बांसों का मंडप बनाया तथा भाँगर देकर हथलेवा किया । पाणिग्रहण करके रुक्मिणी को परख लिया और उसके पश्चात कृष्णमुरारी अपने घर रवाना हो गये ।
श्रीकृष्ण का रुक्मिणी के साथ द्वारिका आगमन
( ६ ) जब नारायण वापिस पहुँचे तत्र उपन कोटि याच्चों ने मिलकर उत्सव किया । घर घर में गुडियों को उछाला गया तथा तोरण एवं बंदनवार बांधी गयी ।
(६०) रुक्मिणी एवं श्रीकृष्ण हंसते हुये नगर में प्रविष्ट हुए । स्थान स्थान पर बहुत से लोग खड़े थे और वे दोनों अपने महल में जा पहुँचे ।
(६१) भोग विलाम करते हुये कई दिन बीत गए । सत्यभामा की चिंता छोट दी। सौत के दुख के कारण वह अत्यन्त डाइ से भरी हुई अपने नित्य अति के सुख को भी दुख रूप समझती थी ।
सत्यभामा के दूत का निवेदन
(६२) सत्यभामा ने एक दूत को उस नद्दल में भेजा जहां बलिभद्रकुमार ठें हुये थे। शीश झुकाकर उसने निवेदन किया कि हे देव ! मुझे सत्यभामा ने भेजा है।
(६३) दूत ने महल में हाथ जोड़कर कहा कि सत्यभामा ने कहा कि विचार कर कहो कि मुझसे कौनसा अपराध हुआ है जो कि कृष्णमुरारी मेरी बात भी नहीं पूछते ।