Book Title: Pradyumna Charit
Author(s): Sadharu Kavi, Chainsukhdas Nyayatirth
Publisher: Kesharlal Bakshi Jaipur

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Page 268
________________ ( २६६ ) १८६,४२८, ४२६, ४६४ ५४२, ५७३, ६५.६, ६६६ - - - एयसार -४४० पयाइ--१६४ पयार-१०७ पयाल-५६२ पयालि-१४४,१४६ पपासइ-१४ पयास-४१२ पयासहु-१८ पथासु-१२ पपासो-४५८ पयाहिप-६६६ पर-२१६, ४४५, ४६१, ४८८ ११६ १२३, १२७ १३५, १३६, १४, १५४, १८७ १६२, १६२, १६८, २६० २२५, २३६, २४, २१० ४६२, ५५१, ६२४, ६७५ - । परद-५४२, ६६७ परखिउ-५१५ परगट---४२७ परचंड-५५८ परजलइ-६५५, २७५ परजल्पा --४४१ परजलीउ-२५३ परजल-१७० परठयो-६२२ परगइ-४५ परणउ-५७, ६३४ पराउ-१६ परणी-८, ३०३ परदमणु-४१३, ५६६, ६४६,७५० परदमनु--६३५. परवम्बर–१४४ परदम्वुरण--१३० परमम्वन-३२० परववरण --२२५, ३१४, ३२०, ५८४ परदवणू--१५५, १५७. १६०, १७३ १७६, १७८, १८, १७ परववन-३२ परदबनु--६३४ परवेस-४०८ परदेसो---२७७ परधान--१८५ परपंच-२६५ परभाव--४५६ परम--३१० परमेसर--६६५ पर्यत-३५ पर्वता---५४१ परवतधारण-५३३ परपउ-७६, १४० परयो-५३० परसपर-३८१ परहरी–६ परहि-५३२ प्रछन्न--१२४ प्रजलंतु---७४ प्रअलेह-२०६ प्रतिउतर--६८४ प्रतिपालिज--२८४ प्रवण--५४६ प्रवणु-५२२

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