Book Title: Pradyumna Charit
Author(s): Sadharu Kavi, Chainsukhdas Nyayatirth
Publisher: Kesharlal Bakshi Jaipur
View full book text
________________
( २६७) प्रवषम-४५५
परिहसु-५८६, ६१७ प्रववन-६७६
परिहाजउ-३२८ प्रधनु-१३६, १३८
परी--३०६,५०१, ५१२ प्रमाण-३६७
परोधर-१८१ प्रभाइ--४१
परीवार--१५ प्रवाह-५२६
पोसह-६८९ प्रहार--४६५, ५३४
पारुति-३८२ प्रहारु--४६७
परे–२५६, ५०३ पराइ--२
परोसा -३८८ पराग-१४४,३०८, ४७०, ५२२ परोसिउ-३-६, ३० परा--५१८
परोसे-३८७,४५३ परान-२७४
परोसो-३६३ परापति-१८३, ५८८, २३०
पलगाह-६४५, ६४९ परि-२८६, ३०२, ३६१, ६४५, पलरगाह-२५७
पलाई-३, ३५२, ५१६, ५२५, परिउ--२५३ परिगह---२४८, ५१६, ५४७
पसारणह-६८, ६६ परिग---५५५, ६२७
पलारिणउ-१७५ परिणइ--२३५
पला--१७३ परिधनु....५२
पलाणे-२५८ परिभानही---५८
पलि-१४४ परिमल-६६३
पध्वज-५०६ परिमला-२३
पवरण---५६, ७२, २५२, २६९ परिभानु
३५४, ३८६, ४३५, ४४१, परिमह-४५ परिरहे-६४४
परिए-२८ परियण--२७५, ५६८,५६१, ५३२ पदा–५३३ परियाशि--२
पवन-५७२ परिहरे-६८९
पवय--२८८ परिवार---२२, ६३७
पवर-६६२ परिहरह-६८५
परिष–३३४, ४५६, ४६८, ४६६, परिहरघउ--३८८ परिहाइ---३५
परिपु---४७१, ४६३, ५३३, ६५१, परिस--१, ६६, १४५
६७

Page Navigation
1 ... 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308