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(९६६) उसका चरित्र देखकर
राजा बोला कि अब उसकी ( राजा की ) मृत्यु का कारण बन गया । जो मनुष्य स्त्री में विश्वास करता है वह विना कारण ही मृत्यु को प्राप्त होता है। स्त्रो का चरित्र सुनकर वह विद्याधरों का राजा व्याकुल हो गया ।
स्त्री चरित्र वर्णन
(२६५) स्त्री झूठ बोलती है और कूठ ही चलती है (आवरण करती हैं) अपने स्वामी को छोड़कर दूसरे के साथ भोग विलास करती है स्त्री का साहस दुगुना होता है अतः स्त्रीका चरित्र कभी भुलाने योग्य नहीं है ।
(२६) उसके मन में सदैव नीच बुद्धि रहती है । उत्तम संगति को छोडकर नीच संगति में जाती है। उसकी प्रकृति और देह दोनों ही नीच हैं । स्त्री का स्वभाव हो ऐसा है ।
(२६६) उज्जैनी नगरी जो एक उत्तम स्थान या व पहिले विच नामका राजा स्त्री पर खूब विश्वास करता था इस कारण उसे अपना जीवन ही समर्पण करना।
(२०) दूसरे यशोधर राजा हुए जो कि अपनी पदरानी महादेवी से नाश को प्राप्त हुये । उसने राजा को विप पूर्णता देकर मार दिया और स्वयं कुचडे से जाकर रमने लगी ।
(२१) अब तीसरी स्री की बात सुनिये | पाटन नामका एक स्थान था उस काल में वहां 'या' नामका सेट था जिसके 'तोनि' नाम की सुन्दर स्त्री थी ।
(२७२) एक बार वह सेठ व्यापार को गया हुआ था | तब किसी ने उसे जीभ के वशीभूत कर लिया सेठ की मर्यादा छोड़कर उसने एक धूर्त्त को अपने यहां लाकर रख लिया ।
(२७२ ) अपने पति के प्यार को लोहकर उस चाये हुये धूर्त को उसने भतार बना लिया। इस प्रकार स्त्रियों के साहस का कोई अन्त नहीं है । इन स्त्रियों का चरित्र कितना कहा जाय ।
(२७४) प्रभया रानी की नीचता के कारण सुदर्शन पर संकट आया तथा उसी के कारण महायुद्ध हुआ और अन्त में सुदर्शन को तपस्या के लिये जाना पड़ा |