________________
3
धूमकेत हौ तू हरि लयो, चापि सिला तल सो उठि गयो। जमसंबर तोहि पालिउ पाणि, सो परदवन आप तू जाणि ॥२४॥ करणयमाल तुव, अंचल गहिउ, पूर्व जन्म तो सनमध भयउ ।
हह तोरािष्ट्र देमस कीपि, छछु करि तीहि विद्या तीनि ॥२४५॥ निसुणि वयरण सो वाहुडि जाइ, कनकमाल पह वइठउ जाइ। विद्या तीनि मोहि जउ देहि, जगतो पेसणु करिहो तोहि ॥२४६५॥ रस की बात कुबर पह सुणी, पैम लुवधि अकुलाणी धरणी। जमसंघर की करीय न काणि, तीनिउ विद्या प्राफी आणि॥२४७॥ पूरव दाउ कुम्बर मन रल्यउ, फुणि विद्या लइ वाहुरि चलिउ। हम्बु तुम्हि पूतु जगणी तू मोहि, जगतउ होइ सुपेसणु देहि ।।२४८।।
-
(२४४) १. तिह थो डिलियो (क) तज तू हरिलिज (ख) सुम्हि हजि ले । गया (ग) २. ट्ठियउ (क) उठि गयड (ख) उढि गया (ग) ३. तू (ख ग) ४... भपूरव (ग) मूल प्रति में तोहि पाठ नहीं है ।
(२४५) १. तुम (क) तब (स) तुम्ह (ग) २. तोहि (क) कस (ख) मेहि (ग) ३. सनबष (ग) ४. जो बहु होइ (क) जई हज हतो (ख) जे वह तोहि (ग) ५. प्रेम (क) परम (ख) पिरम ग) ६. छीनले (क)
(२४६) १. मुगउ (ग) २. बहुडिज (ख) ३. प्राइ (क ख ग) ४. जे (क) जह (ख) ५ जुगत (स,ल) अगति (ग) ६. पलउ (क) विसनुह (ग) ७, करिष्ठ (क) । होइ (ख) हर करिस्यो (ग) ८. बेहि (ख)
(२४७) १. सर (ग) २. प्रेम लुवध (क) प्रेम तुग्ध (ग) ३. तीनइ (क) तीन्हों (ग) ४ सज्मो (ग)
(२४८) १. परियउ (क) कडिउ (ख) पूरिज (ग) २. कुमार (अ) ३. पिण (क) ले (ग) ४, सो (ग) ५. बाहुटि (क ख ग) ६. बस्यो (क) भलिउ (स) ७. हम (क) हज ( ग) म. सोहि (क) सुहि (ख) ६. मात (क) १०. हुई (ग) ११. युगत (क) कुगप्ति (ग) १२. पसाज (क) १३. करिउ पयो सोइ (क)
-
-
.....-
-