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'प्रध म्न चरित' एक सुखान्त काव्य है। इसका नायक लौकिक एवं अलौकिक ऐश्वर्य को प्राप्त करने एवं भोगने के पश्चात् जिन दीक्षा धारण कर मोक्ष लक्ष्मी को प्राप्त करता है । जैन लेखकों के प्रायः सभी काव्य सुखान्त हैं ; क्योंकि अपने काव्यों द्वारा सामान्य जन में घुसी हुई बुराइयों को दूर करने का उनका लक्ष्य रहता है ।
इस काव्य में खलनायक अथवा प्रतिनायक का स्थान किसको दिया जावे यह भी विचारणीय प्रश्न है। पूरे काव्य में कितने ही पात्रों का चरित्र चित्रित किया गया है । जिसमें श्रीमा, दिशा, सल्यभामा, सुभानुकुमार, नारद, कालसंवर सिंह्ररथ, रूपचंद आदि के नाम विशेषतः उल्लेखनीय हैं।
खलनायक नायक का जन्म जात प्रतिद्वंद्वी होता है। उसका चरित्र उज्ज्वल न होकर दूषित एवं नायक प्रत्यनीक होता है । वह अपने कार्यों के द्वारा सदा ही नायक को परेशान करता रहता है । पाठकों को उससे कदापि सहानुभूति नहीं होती किन्तु 'प्रा म्न चरित' में उक्त बातें किसी भी पात्र के साथ घदित नहीं होती । पूरे काव्य में प्रद्य म्न का सत्यभामा, भानुकुमार, सिंहरथ, रूपचंद, कालसंघर और उसके पुत्रों के अतिरिक्त कभी किसी से विरोध नहीं होता । यही नहीं सिंहस्थ एवं रूपचंद से भी कोई उसका विरोध नहीं था। उनके साथ इसका युद्ध तो केवल घटना विशेष के कारण हुश्रा है। अब केवल दो पात्र बचते हैं जिनमें प्रद्युम्न का जन्म जात तो नहीं ; किन्तु अपनी माता मक्मिणी के कारण विरोध हो गया था । इनमें सत्यभामा को तो स्त्री पात्र होने के कारण खलनायक का स्थान किसी भी अवस्था में नहीं दिया जा सकता । अब केवल भानुकुमार बचते हैं। किन्तु मानुकुमार ने प्रद्युम्न के साथ कभी कोई विरोध किया हो अथवा लड़ाई लड़ी हो ऐसा प्रसंग पूरे काव्य में कहीं नहीं पाया ; हां इतना अवश्य हुश्रा है कि प्रद्य म्न अपने असली रुप में प्रकट होने के पहले तक द्वारका में विभिन्न रूपों में उपस्थित होता रहा और सत्यभामा और भानुकुमार को अपनी विद्याभों के सहारे छकाता रहा । भानुकुमार सत्यभामा का पुत्र था
और सत्यभामा प्रघम्न की माता रुक्मिणी की सौत थी। इसी कारण पद्य म्न का भानुकुमार के साथ सौमनस्य नहीं था। भानुकुमार की मांगउदधिकुमारी से प्रद्युम्न ने विवाह कर लिया था इसका कारण भी यही थ और इसीलिये उसने दो अवसरों पर उन्हे नीचा दिखाया था । किन्तु इससे भानुकुमार को खलनायक सिद्ध नहीं किया जा सकता । नायक से विरोध एवं युद्ध होने के कारण ही किसी को खलनायक की कोटि में कैसे लिय जा सकता है । प्रश म्न का युद्ध तो अपना कौशल दिखलाने के लिये श्रीकृष्ण