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अमिनिकुड गउ जब वर वीरू, करइ आप हिव साहस धीरू
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उ सरवरू चलियउजारिण, श्रमिनि कपड तहि पिउ ॥ २०८ ॥
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लेतइ वीरू अगाडो चलइ, विरख प्रांव तो दीठउ फल्यउ ।
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उग्र तोडी सो खाँइ, वंददे
पढ़तउ आइ ॥ २०६॥
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कवर वीरू तू तोडहि ग्राम, सुहिसि आइ भिडहि संग्राम ।
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कोपि मय तय तिहिप गयउ, तिहुसहु जुभु महाहउ किय ॥ २१०॥
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मयर पचारि जिगिउ सो देउ, कर जोडइ
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पहुममालु दुइ हाथह लेइ, भर पावडी जुगलु सो देइ || २११||
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र विरगवइ सेव ।
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तउ लइ मयरण कयथवरण गए, पयठइ मया फुग उभे भए ।
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गयउ वीर जब वरणह मकारि, दुरू गौयरू उठिउ विचारि ॥ २१२ ॥
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( २०८ ) १. गज ( क ) पहुता ( ग ) जब गइयज (ख) २. प्राण हिय (क) पता साह ( ख ) तह (ग) ३. ठउ ( क, ख ) तूहा ( ग ) ४. सुरवर (फल) ५. चालिख ( क ) चाला ( ख ) ६. कपड (ख) निषाद (ग ७ आयी जाणि ( क ) बीन्हा आणि ( ग ) नोट -- मूलपाठ पाशाहिद के स्थान पर श्रापतेवा
( २०६ ) १ तितलड (क) तेल (ख) लेइ (ग) २. त भागो (क) अनुहड़ो स) श्रग हा (ग) ३. बलिउ (ख) चालियो ( ग ) ४. वृक्ष (ग) ५. श्रव (क) अशोक (ग) ६. को (क, ख) ७. फरिउ (क) फलिङ ८. वनरदेव ( क )
(ख) फुलियो (ग)
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(२१०) १. यंत्र (फ) श्रां ( ख ग ) २. समाहि ( क ) ३. मोस्यो ( ग ) ४. केह ( क ) ति ( ग ) ५. स्यो ( ग ) माहि तिनि कियो (क) मालविक्कु भयो ( ग ) (२११) १. जियो (क) २. बुइ कर जोडि सु विनवद सोव ( ग ) २. बहु ५. युगल (क) पगहू (ग)
(क) ४. पुरुष (ग) पहुष (क)
( २१२) १. तब से ( ग ) २. कयत्य (ग) ३. गयउ ( ग ) ४. जहर (ख) पति (ग) ५. बीट (ग) ६ तह (ख) सो (ग) ७. प्रभा भया (ग) ८ ले ले भयरण गज (क) ६. जे (ग) १०. बुद्धरू (ख) सुवर (क) (ग) ११. विकारि (फल)
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नोट - २०६ का चौथा चरण (क) प्रति से लिया गया है ।