Book Title: Paniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 04
Author(s): Sudarshanacharya
Publisher: Bramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
View full book text
________________
२८०
पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम् सिद्धि-(१) कथा। किम्+टा+थाल्। क+था। कथा+सु । कथा+० । कथा।
यहां तृतीयान्त किम्' शब्द से प्रकार-वचन में इस सूत्र से 'थाल्' प्रत्यय है। किम: क:' (७।२।१०३) से 'किम्' 'क' आदेश होता है।
(२) यथा । यत्+टा+थाल् । यअ+था। यथा+सु। यथा+० । यथा।
यहां तृतीयान्त यत्' शब्द से प्रकार वचन में इस सूत्र से 'थाल्' प्रत्यय है। थाल् प्रत्यय की विभक्ति संज्ञा होकर 'त्यदादीनामः' (७।२।१०२) से 'यत्' के तकार को अकार आदेश और 'अतो गुणे' (६।१।९६) से पूर्ववर्ती अकार को पररूप एकादेश होता है। ऐसे ही-तथा, सर्वथा, बहुथा। थमुः
_ (२४) इदमस्थमुः।२४। प०वि०-इदम: ५।१ थमुः। अनु०-प्रकारवचने इत्यनुवर्तते। अन्वय:-प्रकारवचने इदमस्थमुः।
अर्थ:-प्रकारवचनेऽर्थे वर्तमानाद् इदम्-शब्दात् प्रातिपदिकात् थमुः प्रत्ययो भवति।
उदा०-अनेन प्रकारेण-इत्थम् ।
आर्यभाषा: अर्थ-(प्रकारवचने) प्रकार-वचन अर्थ में विद्यमान (इदम:) इदम् प्रातिपदिक से (थमुः) थमु प्रत्यय होता है।
उदा०-इस प्रकार से-इत्थम् (ऐसे)। सिद्धि-इत्थम् । इदम्+टा+थमु। इत्+थम्। इत्थम्+सु। इत्थम्+० । इत्थम्।
यहां तृतीयान्त 'इदम्' शब्द से प्रकार-वचन में इस सूत्र से 'थम्' प्रत्यय है। एतेतौ रथोः' (५।३।४) से 'इदम्' को 'इत्' आदेश होता है। 'थमु' का उकार मकार की रक्षा के लिये है।
थमुः
(२५) किमश्च।२५। प०वि०-किम: ५।१ च अव्ययपदम् । अनु०-प्रकारवचने, थमुरिति चानुवर्तते। अन्वय:-प्रकारवचने किमश्च थमुः ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org