Book Title: Paniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 04
Author(s): Sudarshanacharya
Publisher: Bramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar

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Page 478
________________ टच् पञ्चमाध्यायस्य चतुर्थः पादः (१६) ब्रह्मणो जानपदाख्यायाम् ॥ १०४ ॥ प०वि० - ब्रह्मण: ५ ।१ जानपदाख्यायाम् ७ । १ । सo - जनपदेषु भव:- जानपदः । जानपदस्याऽऽख्या - जानपदाख्या, तस्याम्-जानपदाख्यायाम् (षष्ठीतत्पुरुषः ) । ४६१ अनु०-समासान्ता:, टच्, तत्पुरुषस्य इति चानुवर्तते । अन्वयः-जानपदाख्यायां ब्रह्मणस्तत्पुरुषात् समासान्तष्टच् । अर्थः-जानपदाख्यायां वर्तमानाद् ब्रह्मन्-शब्दान्तात् तत्पुरुषसंज्ञकात् प्रातिपदिकात् समासान्तष्टच् प्रत्ययो भवति । उदा० - सुराष्ट्रेषु ब्रह्मा-सुराष्ट्रब्रह्मः । अवन्तिषु ब्रह्मा - अवन्तिब्रह्मः । ब्रह्मा=ब्राह्मण: । आर्यभाषाः अर्थ - ( जानपदाख्यायाम्) जनपद में रहनेवाला अर्थ में विद्यमान (ब्रह्मण:) ब्रह्मन् शब्द जिसके अन्त में है उस (तत्पुरुषात् ) तत्पुरुष-संज्ञक प्रातिपदिकसे (समासान्तः) समास का अवयव (टच्) टच् प्रत्यय होता है । उदा० To - सुराष्ट्र जनपद में रहनेवाला - ब्रह्मा ब्राह्मण-सुराष्ट्रब्रह्म । अवन्ति जनपद में रहनेवाला ब्रह्मा-अवन्तिब्रह्म । सिद्धि - सुराष्ट्रब्रह्मः । सुराष्ट्र+सुप्+ब्रह्मन्+सु । सुराष्ट्र+ब्रह्मन्। सुराष्ट्रब्रह्मन्+टच् । सुराष्ट्रब्रह्म्+अ। सुराष्ट्रब्रह्म+सु। सुराष्ट्रब्रह्मः । यहां सुराष्ट्र और जानपदवाची ब्रह्मन् शब्दों का 'सप्तमी शौण्डै: ' (२1१1४०) से सप्तमीतत्पुरुष समास है। सुराष्ट्रब्रह्मन्' शब्द से इस सूत्र से समासान्त 'टच्' प्रत्यय है। 'नस्तद्धिते' (६।४।१४४) से अंग के टि-भाग (अन्) का लोप होता है। ऐसे ही - अवन्तिब्रह्म: । विशेषः (१) सौराष्ट्र- इसका नामान्तर आनर्त है । आधुनिक काठियावाड़ प्रायद्वीप ही प्राचीनकालीन सौराष्ट्र या आनर्त देश है (शब्दार्थकौस्तुभ पृ० १३८९ ) । (२) अवन्ति - नर्मदा नदी के उत्तर का प्रदेश । इसकी राजधानी का प्राचीन और आधुनिक नाम उज्जैन या अवन्तीपुरी है (शब्दार्थकौस्तुभ पृ० १३८१ ) । टच्-विकल्पः (२०) कुमहद्भ्यामन्यतरस्याम् ।१०५ | प०वि०-कु-महद्भ्याम् ५।२ अन्यतरस्याम् अव्ययपदम् । For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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