Book Title: Paniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 04
Author(s): Sudarshanacharya
Publisher: Bramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar

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Page 434
________________ ४७ पञ्चमाध्यायस्य चतुर्थः पादः उदा०-पटत् पटत् करोति-पटपटा करोति, पटपटा भवति, पटपटा स्यात् । दमद् दमत् करोति-दमदमा करोति, दमदमा भवति, दमदमा स्यात्। __आर्यभाषा: अर्थ-(कृभ्वस्तियोगे) कृ, भू, अस्ति के योग में (द्वयजवरार्धात्) जिसके अवरवर्ती भाग में दो अच् हैं उस (अव्यक्तानुकरणात्) अव्यक्त ध्वनि के अनुकरणवाची शब्द से (डाच्) डाच् प्रत्यय होता है (अनितौ) यदि वहां इति शब्द परे न हो। उदा०-पटत् पटत् करता है-पटपटा करता है, पटपटा होता है, पटपटा होवे। दमत् दमत् करता है-दमदमा करता है, दमदमा होता है, दमदमा होवे। सिद्धि-पटपटा करोति। पटत्+डाच् । पटत्+पटत्+आ। पटत्+पट्+आ। पट+पट्+आ। पटपटा+सु। पटपटा+० । पटपटा। यहां कु, भू, अस्ति के योग में, जिसके अवरवर्ती भाग में दो अच् हैं उस अव्यक्त ध्वनि के अनुकरणवाची पटत्' शब्द से इस सूत्र से डाच् प्रत्यय है। वा०-डाचि बहुलं द्वे भवत:' (८1१1१२) से 'पटत्' शब्द को द्वित्व होता है। प्रत्यय के डित होने से वा०-'डित्यभस्यापि टेर्लोप:' (६।४।१४३) से अंग के टि-भाग (अत्) का लोप होता है। नित्यमामेडिते डाचि' (६।१।१००) से पूर्ववर्ती तकार को पररूप आदेश होता है। ऐसे ही-दमदमा करोति। कर्षणार्थप्रत्ययविधिः डाच (१) कृस्रो द्वितीयतृतीयशम्बबीजात कृषौ ।५८। प०वि०-कृञ: ६ १ द्वितीय-तृतीय-शम्ब-बीजात् ५ १ कृषौ ७।१ । स०-द्वितीयश्च तृतीयश्च शम्बश्च बीजं च एतेषां समाहारो द्वितीयतृतीयसम्बबीजम्, तस्मात्-द्वितीयतृतीयशम्बबीजात् (समाहारद्वन्द्व:)। अनु०-पुन: कृञो ग्रहणं भू-अस्त्योर्निवृत्त्यर्थम्, डाच् इति चानुवर्तते। अन्वय:-कृञ्योगे कृषौ द्वितीयतृतीयशम्बबीजाड् डाच् । अर्थ:-कृञ्योगे कृषि-अर्थे वर्तमानेभ्यो द्वितीयतृतीयशम्बबीजेभ्य: प्रातिपदिकेभ्यो डाच् प्रत्ययो भवति । __उदा०-(हिलीय:) द्वितीयं कर्षणं करोति-द्वितीया करोति। (तृतीयः) तृतीयं कर्षणं करोति-तृतीया करोति । (शम्ब:) शम्बात्मकं कर्षणं करोति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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