Book Title: Mularadhna
Author(s): Shivkoti Acharya, 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 15
________________ लाशधना * २९ तत्वश्रद्धान न करने से होनेवाली हानि. २० संसारसे डरनेवाला भव्य जीव केसा विचार रखता है. ३१ सम्यग्दर्शनके पांच अतिचारोंका वर्णन. ३२ सम्यग्दर्शनको निर्मल बनानेवाले गुणका वर्णन ३३ दर्शन विनयका वर्णन. १४१ ४३ उत्सर्गलिंगका विशेष वर्णन | ३९ भक्तप्रत्याख्यान मरण व उसके भेद. ४० अधिकारकां वर्णन ( भक्त प्रत्याख्यान मरणके योग्य व्यक्ति ) ४१ भक्तप्रत्याख्यान के लिये जो अयोग्य है उसका वर्णन १४२ १४६ १५० १५५-१६५ । ३४ जघन्य मध्यम व उत्कृष्ट सम्यक्त्वाराधनाके स्वामी. १७६ ३५ जघन्य सम्यक्त्वाराधनाका प्रभाव तथा सम्यक्त्व लाभमाहात्म्य. ३६ मिया के प्रकार और उनसे होनेवाली हानि ३७ मिध्यात्व के आश्रय से अहिंसादिक गुण भी दोष होते हैं.. ३८ व्रतशीलयुक्त मिध्यात्वीका भी संसार भ्रमण होता है. ४२ लिंगाधिकारका वर्णन और अपवादर्लिएका वर्णन १७८ १८१ १८५ | २०० २०४ २११ ४४ अपवाद लिंगीकी शुद्धता कैसी होती है, २२२ ४५ केशलोच न करने में दोष और लोपमें गुण २२३ ४६ शरीरममत्वत्यागका वर्णन २२९ ४७ पिच्छिका से क्या क्या कार्य करने चाहिये तथा पिकाका लक्षण १८ निचनका अध्ययन करनेसे प्राप्त होने वाले सगुणका विस्तृत वर्णन ४९ विनयका २३ गाथाने विस्वीर्ण विजयके सर्व १८८. ५४ भावनिति और द्रव्यभितिका सविस्तर कथन १९२ । ५५ क्लेशभावनाके कंदपदि मेदका वर्णन ५६ संक्लेशरहित भावनाओंफा वर्णन ५० बाह्य व अभ्यंतर सल्लेखनाका वर्णन ५८ अनशनादि बाह्यरूपका सविस्तर वर्णन १९ वविका उत्पादनादिदोषों का वर्णन ६० निर्जरे यती तपका वर्णन २०७६१ सल्लेखना के उपायका वर्णन २३४ २४१ वर्णन अर्थात् का वर्णन २६० ३१२ ५० समाधि अधिकारका विस्तारसे कथन ५१ अनियत विहारके दर्शन विशुद्धयादि गुणों का वर्णन ३२५ ५२ परिणाम अधिकारका आठ गाथाओं में वर्णन ३५२ ५३ उपाधिस्थानका ९ गाथाओं में वर्णन ३७६ ३८८ ३९७ ४०५ ४२३ ४२५ ૪૨૭ ४५६ ४६८ विषय १३

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