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राधना
अध्यार
वस्तुका विस्तृत विवेचन मंदबुद्धि जन नहीं समझते है उनके उपर अनुग्रह करनेके लिए वस्तुओंका स्वल्प विवेचन होता है. उसके तीन भेद है-वचनसंक्षेप, अर्थसंक्षेप व उभयसंक्षेप । यदि वचनोंका विस्तार हो जाय तो मंदबुद्धि जनोंको अर्थनिश्चय नहीं होता इसलिए वचनोंका जिसमें संक्षेप हो परंतु पदार्थका विस्तार किया मया है उसको वचन संक्षेप कहते हैं. अनुयोग, प्रमाण, नय, निक्षेप वगैरे वस्तुका विवेचन करनेके उपाय हैं. इन सबोके द्वारा विवेचन न करके प्रस्तुत विषयकी केवल दिशा दिखाना उसको अबसष कहते है. इसमें वचन तो बहुत रहते है, परंतु अनुयोगादिकोममें किसी एकका आश्रय लेकर दिहमात्र वर्णन रहता है. उभय संक्षेपमें अर्थ
व उसका शब्दों द्वारा विवेचन दोनों भी संक्षिप्त होते है उसको उभय संक्षेप कहते हैं. चारो आराधनाओंका | स्वरूप दो आराधनामें जहां किया जाता है यह बचन संश्लेष ही है. अर्थसअप नहीं है. यहां शानकी और तप
की आराधना विद्यमान है सो भी यह वचक बारा उत्तः महा दर्शनारापना कथा चारित्रायधना इनके मुख से ही उनका स्वरूप प्रगट कराना शक्य है.
दसणमाराहंतेण णाणमाराहिद भने णियमा ॥
णाणं आराहतरस दसणं होइ भयणिजं ॥ ४ ॥ विजयोदया-सणमाराईतेण दर्शनाराधनायां कधितायां हामाराधनापि शक्यते प्रतिपत्तुम् । समयानयनचोदनायांशरापाद्यन्यतममाजममात्रप्रतिपत्तियत् । ननु चान्तरेणाधारमानयनं न संभवतीति भवत्यानभिडितेऽपि भाजनमात्रे प्रति पत्तिरिह कथम् ? हाप्यविनाभावावित्याच 'दसणमाराधतेण' । अत्रापरे संबन्धमारम्भयम्ति गाथायाः । यदि द्विविधा आराधना आराधयन्ति चेश्चतुर्विधाराधनाफलं प्राप्ताः सिद्धा इति प्रतिक्षा हीयते द्वयोरसंग्रहास् इति चेत् नास्मिन्नपि विकस्पे तयोरपि संग्रहार्थम् । कथं 'दंसपमाराधतेग ' इति प्रतिमा हीयते इति । अत्र प्रतिमाशपेन किमुख्यते । साध्यनिर्देशः प्रतिक्षेति ताप गृहीतम्। चतुर्विधाराधनाफलप्राप्तत्वस्येह साध्यता नास्ति । सिरमेष हि चतुर्विधाराधनाफलप्रापतत्वमनुद्यत इति 1 अधाभ्युपगतिः प्रतिझा सा कि नोपपद्यते ? चतस्रः आराधनास्तासां च फलं ते प्राप्तयन्तस्ततासन्यभ्युप गन्तव्ये कथमभ्युपगमानुपपसिः? चतुर्विधेत्युक्तवन्तः द्विविधति कर्थ म विरुद्धमिति पूर्वापरब्याडतिरिति चोयते । तथा यश्चौद्यमेव चोद्यते समासेन द्विविधेति वचनात् , प्रपञ्चनिरूपणायां चतुर्विधा तत्को विरोधः तेन विरोधपरिहाराय चागतयं माथा । 'देसणं' धज्ञानं रुचिः, 'थारार्धतेण' आराधयता, 'पाणं 'सम्पाशानं, 'भाराधिर्व'
ROMALE+