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लाराधना
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६२ कपासलेखनाका वर्णन
६३ एलाचार्यकी स्थापना
६४ क्षमणाधिकार
६५ गण और एलाचायकी आचार्यका उपदेश
६६ वैयात्यके १५ गुणका वर्णन
६७ आर्थिकासंगति स्याग
६८ दुर्जनसंगति त्याग
४७९ ८१ प्रतीच्छाधिकार
४९२
१९४
४९६
७६ अवपीडक आचार्य क्षपकके दोष बाहर निकाछते हैं.
७७ उपसंपद अधिकारका वर्णन
७८ परीक्षाधिकारका वर्णन
७९ प्रतिलेखाधिकार
८० पृच्छाधिकार
५२४
५४३
५५३
५५७
५७०
५९०
६९ सुसंगतीका माहात्म्य
७० परगणाचार्याधिकार
७१ मार्गनिरूपणाधिकार
७२ निर्यापककाचार्यका अन्वेषण करनेके लिये निकले हुए आचार्यका कार्यक्रम
५९३
७३ निर्यापकाचार्य आचारत्वादि आठगुणों का वर्णन ६०७ ७४ दर्शविकल्पका वर्णन.
७५ अपक्ष आचार्यका आश्रय करनेसे उत्पन्न होने
वाले दोपों का वर्णन
८९ योग्यायोग्यवस तिकाका विचार
९० संस्तरोंका वर्णन
९१ परिवारकों का स्वरूप
९२ आक्षेपण्यादि कथाओं का स्वरूप ६१८९३ परियारको भिन्न भिन्न कर्तव्य
६५९
६९९
७२५
८२ आलोचना शुद्धचधिकार
८३ सामान्यविशेषालोचनाका स्वरूप
८४ सशस्य मरणमें दोष और शहयोहारमें गुण
८५ आलोचना कम और किस स्थानमें करना योग्यहै७६८ ८६ आलोचना गुण और दोषोंका स्वरूपवर्णन
७७६
८७ दपदिकवीस अतिचार कारणके प्रकारोंका वर्णन८१५ ८८ आलोचना करने के अनंतर गुरुके कर्तव्यका
वर्णन
७३९
७४३
९५ आहार प्रकाशन प्रकरणका विवेचन
९६ हानिप्रकरण का स्वरूपकथन
९७ पानोंके प्रकारका वर्णन.
७५२
૧૮
९४ सल्लेखना करनेवाले सुनिका दर्शन सबको लेना चाहिये.
७३४
७३६ ९९ चार प्रकारके संघका क्षमापण विधि ७३८ १०० क्षपणाविकार वर्णन
८२१
८३४
८४०
८४७
८७०
८७५
८७९
८८२
९८ तीन प्रकारके आहारोंका त्याग क्षपक करता है. ८८६
८८९
८९१
८५३
८५७
विषय
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