Book Title: Mahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Author(s): Narendra Jain
Publisher: Vitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
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महाकवि भूघरदास : जिज्ञासु 123, विचारशील 123, धैर्यशील 124, भाग्यवादी 124 , धार्मिक 125, नैतिक एवं सदाचारी 126, विरक्त 127, आत्मोन्मुखी 127, भक्त एवं
गुणानुरागी 128, हिंसा एवं वैर के विरोधी 129 चतुर्थ अध्याय रचनाओं का वर्गीकरण एवं परिचयात्मक अनुशीलन
135-176 (ok.) रचनाओं व काग
135-137 (ख) रचनाओं का परिचयात्मक अनुशीलन
138-176 गद्य साहित्य : चर्चा समाधान 138, पद्य साहित्य : पार्श्वपुराण (महाकाव्य) 156, जैनशतक (मुक्तक काव्य) 159, पदसंग्रह या भूधरविलास (मुक्तक काव्य) 161, विभिन्न फुटकर रचनाएँ (मुक्तक काव्य) - विनतियाँ 160, स्तोत्र 167, आरतियाँ 168, अष्टक काव्य 168, निशिभोजन भुंजन कथा 166, गीत 170, तीन चौबीसी की जयमाला 170, विवाह समै जैन की मंगल भाषा 170, दाल 171, हुक्का पच्चीसी या हुक्का निषेध चौपाई 172, बधाई 172, जकड़ी 172, होली 173, जिनगुणमुक्तावली 173, भूपाल चतुर्विशति भाषा 174, बारह भावना 174,
सोलहकारण भावना 175, वैराग्य भावना 175, बाईस परीषह 175 पंचम अध्याय
भूधरदास की रचनाओं का भावपक्षीय अनुशीलन 177-281 (अ) महाकाव्यात्मक रचना पार्श्वपुराण का भावपक्षीय अनुशीलन
177-242 (क) महाकाव्य का स्वरूप : विभिन्न विद्वानों की दृष्टि में 178,
पार्श्वपुराण का महाकाव्यत्व : मूल्यांकन के विशिष्ट बिन्दु 183, कथानक एक दृष्टि -सर्गानुसार कथासार 184, कथानक की सर्गबद्धता एवं छन्दबद्धता 188, कथा प्रवाह या संबंध निर्वाह 189,अन्विति एवं प्रभाव (मार्मिक स्थल )190, महानता एवं पुराणसम्मतता 194, परम्परागतता एवं नवीन उद्भावनाएँ 197, प्रबन्ध काव्य की दृष्टि से कथानक पर
विचार एवं प्रबन्ध की विशेषताएँ 199 (ख) पार्श्वपुराण में चरित्र चित्रण 202 प्रधान पात्रों का चरित्र चित्रण