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बम परिवार
करो इकबार । मनोरथ पूरे माहरी, धुपकर रहे कुमार ॥ ६६ ॥ मात पिता जान्यो तवें, करें याद मंमान । पुत्रीको देवें नही, कुमर उदासी जान ॥ ७॥ तद कन्या था मिली, कहें वात तजि लाज । जोव्याहें जम्बू मुळे. तो सन्हेिं सब काज ॥ ६७॥ नहि तो जम्बू सायमे, प्रत धारो निरधार । मात पिता सब सांजली, कन्या बात विचार ॥ ६ए ॥ कन्या या व्याहिया, जम्बू सों कर जोड़ । दाहेज दिया घणा, दर्व निवाएं कोड़ so ॥ था कन्या व्याहके, जम्बू आए गेह । रैन समे निज महलमे, थावें करती नेह ॥ ७१ तब जम्बू तिरया प्रतें, कहें बात समुझाइ । मत पूषो संसारमे, करो ध्यान चितलाई ॥ १२ ॥ संसार असार दे, जैसे संका रङ्ग। दिणको खिर जागा, मतकरोचको सह ॥ ३ ॥ तरुवर खेल मुहावनो, बेठे पंछी थाय । रैन समे बासा करें प्रातलमे उड़ि जाय ॥ १४ ॥ इह सुरत जाने कारिमा, बादल को थावास | पिरतें चार न लागि हैं, कुग नेह विलास ॥ ४५ ॥ ( चौग) तर से राजग्रही के पास, जीम पलिमे घसते पास ।
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