________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
जम्बु चरित्र। कहें सुनो मुक बात. मेरे गुरु श्राचार्य विख्यात । धर्म बतायेंगे गुरुदेव, सुनके कुमर चलें ततखेव ॥४॥ बाय बन्दना गुरुको किया, धर्मदेशना गुरु तव दिया । सुन्यो धर्म जव कुमर सुजान, हुवो विरक्त धर्म चित धान ॥ ५० ॥ निज मन्दिर आए तत काल, सुन्दर यौबन रुप रसाल । मात पितासो कहि समुजाय, धर्म ध्यान मेरे मननाय ॥ ५१ ॥ मात पिता जब आज्ञा दक्ष, श्री गुरु पासे दिदा लश् । बार बरस संयम बादरें, बह पारणे श्रां बिल करें ॥५५॥ चारित्र सुद्ध पालके मुत, विद्युन्माली देव तव हुन । थित पायो पट्योपमचार,श्रोता सुनो बात विस्तार ॥ ५३॥ देव आउषो पूरो कियो कहूँ कथा जनम जिहां लियो । राजगृही नगरी गुणषाण, झपन दत्त में सेठ सुजान ॥५४॥ ताकी त्रिया धारणी नाम, धस्यो गर्न सोने अजिराम ते सुर आयो उदर मजार, सूता सुख सज्या निर धार ॥५५॥ सुपनामे जम्बू तरु देख, उठी जागि नेना अनमेष । धर्म ध्यानसुं रैण विताय, श्रावी पिर कुं कहि समुशाय ॥५६॥ झपन दत्तको हरष अपार, प्रसव्यो पुत्र धारणी नार । सुपन देख
For Private and Personal Use Only