Book Title: Jambu Charitra
Author(s): Chetanvijay
Publisher: Gulabkumari Library

View full book text
Previous | Next

Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जन्बु चरित्र । जम्बू तरु सार, नाम दियो तस जम्बू कुमार ॥ ५७॥ जली लांत जव कियो, बहुन दान याचक ने दियो। अनुक्रम बांधे कमर सुजान यौवनवंत नयो गुणखान ।। ५७॥ पिता देख बालक को रूप, ए सुत सुन्दर अधिक अनूप ! कन्या आठ सोधक लियो, जम्बूको विबाइ धापियो । ५॥ तिन अवसर वाहर आराम, समोसस्या सुधर्मा स्वाम । जम्बू बन्दन आया तवें, धर्मदेस ना सुनियो जवें ॥ ६० ॥ सुन्यो धर्म सुधर्मा पास मन बैरागें नए उदास , नगर मादि आवे तेवार अकस मात इक वुर्ज मजार ॥ ६१ ॥ गोलो एक लोहको ट्रट, पड्या कुमरके सनमुख बूट । झपन दत्त सुत अचरिज देख, हुढं चित्त वैराग बिसेष ६५ ॥ (दोहा) इह संसार असार है सार एक जिन नाम.। फिर पाठे पाए तिहां जिहां सुधर्मा स्वाम ॥ ६३ ॥ बारे ब्रत धारण किया स्वामि सुधर्मा पास । अनि बन्दन करि श्रावियो जम्बू निज आवास ॥ ६४ ॥ मात पितासुं वोनवें अनु मत दीजें थाज । संयम मारग आदरं करुं धर्म को काज ॥ ६५ ॥ मात कहें सुन बछ तूं व्याह For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 ... 135