Book Title: Jambu Charitra
Author(s): Chetanvijay
Publisher: Gulabkumari Library
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परदेशी राजा की चौपाइ ।
मारग या कृपा करी ए ॥ १७ ॥ जे गुरु दीवो गुरु देव ए, नित कीजे त्यांरी सेव ए। सुगुरु विण घोर अन्धार ए, ज्यांने वंदिजे वारम्वार ए ॥ २० ॥ वलि बोल्या श्रीमुनिराय ए, थारे कासुं वै दिल मांह ए| तुं ऐसो विचक्षण जाण ए, मोंने बोल्यो वांकी वाण ए ॥ २१ ॥ में बहोंतेर कला जणी गणी ए, थामें चतुराई दीसे घणी ए । तें पामी समकित सार ए, व्रत श्राखडीनो तुं धार ए ॥ २२ ॥ तुं चाट्यो विन खमायरे, तो किम इ दिल मांहि ए। चरचा मोसुं कधी घणी ए, तुं चाल्यो सतं बिका जी ए ॥ २३ ॥ नृप कहे सांजलो मुनिराय ए, म्हारे इसडी आइ दिल मांह ए। नगर न्यांत में मो तणो ए, स्वामी अपयश फेल्यो है अति घणो ए ॥ २४ ॥ म्हारी ढुंती खोटी नित ए, म्हारी घणाने बै
प्रतीत ए । हुं रह्यो मीथ्यात्व में राच ए, कुण माने पापीरी साच ए ॥ २५ ॥ हुं वांको जड तो घणो ए. स्वामी नावे जरोलो मो तणो ए । ए नगरी मांदि जाय ए, कुटुम्ब कबीलो लाय ए ॥ २६ ॥ मोने देखे सघला लोय ए, हुं खमाऊं
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