Book Title: Jambu Charitra
Author(s): Chetanvijay
Publisher: Gulabkumari Library

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Page 131
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परदेशी राजाकी चौपाइ । ॥ गारिने, श्रुज वेला दो तिथी मुहूरत मान || वीर० ४१ ॥ कला याचारज पासदी, ते जणावशे हो इण कुंवरने आण । कला बहोत्तर पुरुषनी, इणने करसी हो बहु गुणनो जाण ॥ वीर० ४२ ॥ कला सूत्र अर्थ जणायने, गुरु देसी हा माईताने सुपि । देसी घी वधामणी, वैस्त्रादिक हो आमरण अनूप ॥ वीर० ४३ ॥ बहुत्तर कला जण्या थकां कुमर होसी दो बुध निधान । जोबन वय व्याप्यां थकां शूरवीर हो होसी गुणनी खाण ॥ वीर० ४४ ॥ जाषा वारे देशनी विण हो डाहो होसी जाए । नव अंग सुंदर शोजतो, नाटक चेटक दो गीतने गान || वीर० ४५ ॥ हसण बोलण चालण विषे, घी दोसी हो चतुराई चुप । जुद्ध करी परने दराय दे, सिणगारे दो होसी रुप अनूप ॥ वीर० ४६ ॥ जोग संजोग समरथ होसी, तेह बिहतो दो फिरसी काल अकाल | मात पिता बहु धामसी, अन्न पाणी हो सयपासण चाल ॥ वीर० ४७ ।। पि कुमर राचे नहीं, काम जोगनो हो लोलुप नहीं था । पंकेरुद कासारमें, जल For Private and Personal Use Only १२७

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