Book Title: Jambu Charitra
Author(s): Chetanvijay
Publisher: Gulabkumari Library
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
१२६
परदेशी राजाकी चौपाइ।
बाल अनेरा बै घणा, इत्यादिक हो बालकनी थित ॥ वीर० ३४ ॥ गरजथकी मांडी करी, जन्म लेश हो कला लग जाण । करसी रक्षा थति घणी, झधि पूरण हो मोटे मंडाण ॥ वीर० ३५ ॥ पांच धाया पालिजसी, अने हो खोजा दास्याने साथ । दासी अगरह देशनी, श्णने लेसी हो सहु हाथो हाथ ॥ वीर० ३६ ॥ एक थकी बिजी लीये, बेसारे हो निज खोला माय । हियडा सेतो जीडने, सुख जोगवता बलि नाचतां जाय ॥ वीर० ३७॥ गीत हालरिया गावतां, बजावसी हो बजवणां जोर । रमकडां बालक तणां, बाल लीला हो करसी बहु कोड ॥ वीर० ३० ॥ किहां बेसे सुवे किहां, किहां पासाथी हो दोडीने जाय । चुंबन गाल करतां थकां, जिण दिग हो नयण उराय ॥ वीरण ३५ ॥ रत्न जडीत श्रांगण जणी, तिण चालतां हो वाधे देखिने प्रेम । व्याधि रहित सुख में बढे, गिरि कंदरमें हो चपालता जेम ॥ वीर० ४० ॥ मात पितादिक कुंवरने, बरस पाउनो हो काफेरो जाण । न्हाइ धोश् शण
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 128 129 130 131 132 133 134 135