Book Title: Jambu Charitra
Author(s): Chetanvijay
Publisher: Gulabkumari Library

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Page 133
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परदेशी राजाकी चौपाई। १९४ काल । घणा वरस उपगार करे, केवल प्रज्ञापा लोरे ॥ धन जिन धरम ने ॥ ५६ ॥ तिणथी शीव सुख थायोरे, पुःख दोहग टले, दालिम पूर पलायोरे ॥ धन० ५७ ॥ शेष घाउखो थाकतारे, अणसण करसी सार। चार श्राहार पच खीनेरे, घणा जगति विस्तारोरे ॥ धन० ५७ ॥ जिण कारणने उठियोरे, करसी नगन ज्यु नाव । स्नान नहीं दातण नहीरे, लोच शील तप चावारे ॥ धन ५ए ॥ त्रधार मनही नहीरे, सोयवो नूमिका पीठ। नीदारथ अटन केरेरे, लाल अलान सम दिगेरे॥धन०६०॥मान अपमान कोई दियेरे, हेलानिंदादिक अनेक । सहे बचन लोका तणोरे, साहसे राखे धरम टेकोरे ॥ धन० ६१॥ एह अरथ थाराधनेरे, बेहले श्वासोश्वास । सिक बुऊ मुकायनेरे, करसी शिवपुर वासोरे ॥ धन० ६२ ॥ वीर जिणंद गौर म प्रतेरे परदेशी कह्यो नाव । सांजल श्रीनीतम कहेरे, तहत वचन लगवानोरे ॥ धन ३॥ राय पसेणी सूत्रमेरे, एह कह्यो अधिकार । जणे गुणे श्रवणे सुरे, पामे नवजल पारोरे ॥ धन० ६४ ॥ सूत्र (१७, .. . For Private and Personal Use Only

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