SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 115
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परदेशी राजा की चौपाइ । मारग या कृपा करी ए ॥ १७ ॥ जे गुरु दीवो गुरु देव ए, नित कीजे त्यांरी सेव ए। सुगुरु विण घोर अन्धार ए, ज्यांने वंदिजे वारम्वार ए ॥ २० ॥ वलि बोल्या श्रीमुनिराय ए, थारे कासुं वै दिल मांह ए| तुं ऐसो विचक्षण जाण ए, मोंने बोल्यो वांकी वाण ए ॥ २१ ॥ में बहोंतेर कला जणी गणी ए, थामें चतुराई दीसे घणी ए । तें पामी समकित सार ए, व्रत श्राखडीनो तुं धार ए ॥ २२ ॥ तुं चाट्यो विन खमायरे, तो किम इ दिल मांहि ए। चरचा मोसुं कधी घणी ए, तुं चाल्यो सतं बिका जी ए ॥ २३ ॥ नृप कहे सांजलो मुनिराय ए, म्हारे इसडी आइ दिल मांह ए। नगर न्यांत में मो तणो ए, स्वामी अपयश फेल्यो है अति घणो ए ॥ २४ ॥ म्हारी ढुंती खोटी नित ए, म्हारी घणाने बै प्रतीत ए । हुं रह्यो मीथ्यात्व में राच ए, कुण माने पापीरी साच ए ॥ २५ ॥ हुं वांको जड तो घणो ए. स्वामी नावे जरोलो मो तणो ए । ए नगरी मांदि जाय ए, कुटुम्ब कबीलो लाय ए ॥ २६ ॥ मोने देखे सघला लोय ए, हुं खमाऊं For Private and Personal Use Only
SR No.034240
Book TitleJambu Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChetanvijay
PublisherGulabkumari Library
Publication Year
Total Pages135
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy