SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 116
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ११२ परदेशी राजाकी चौपाइ । नीचो होय ए। नरनारी जाणे एहवो ए. अनड नमायो बै केहवो ए ॥ २७ वाम ए दिल मांहि धारीने ए, में जाणते वन्दना ना करी ए। गुरु बोल्या श्म वाय ए, राजा ज्युं तुऊने सुख थाय ए ॥ २७ ॥ में एहवो निश्चय धारियो ए, राजा उठी सेतंबीका चालियो ए। तव नगरी मांहि जाय ए, कुटुम्ब नेलो कियो राय ए ॥ श्ए । सबही न्यातीना लोग ए, ज्यारो घणो मिलीयो संजोग ए। सूरीकंतादिक राणीया ए. राजा रथ बेसारी आणीया ए ॥ ३० ॥ अधिक धर्मसं प्रेम ए, राजा चढीयो को णीक जेम ए। गज होदे असवार ए, नृप चाट्यो मध्य बाजार ए ॥३१॥ ते मृगवन मांहि आय ए. हाथीसुं उतन्यो राय ए । तिहां देखता सहु कोय ए, खमावे वै नीचो होय ए ॥ ३५ ॥ राजा पांचे अंग नमाय ए, गुरु लाग लाल पाय ए । तब सब नरनारी जाणीयो ए, पापीने पैडे आणीयो ए ॥ ३३ ॥ नरनारी सुख पाम्या घणो ए, जलो होजो इण गुरु तणो ए। सहु मनरी पुगी मन रली ए, घणां जीवाके गरक पडी ए ॥ ३४ ॥ बोडाय For Private and Personal Use Only
SR No.034240
Book TitleJambu Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChetanvijay
PublisherGulabkumari Library
Publication Year
Total Pages135
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy