Book Title: Jambu Charitra
Author(s): Chetanvijay
Publisher: Gulabkumari Library
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परदेशी राजाकी चौपाइ।
कैसी शीखामण दीधरे । म्हारो ऐसो जोरावर राजवी, सोतो धरम गहेलो कीधरे॥ तुमे०७३ ॥ श्णसुं गरज न को सरे, नहीं चले राजनो नाररे । किणहि जहादिक जोगसुं, इणने नाखुं माररे॥ तुमे०७४ ॥ सूरिकंत कुमर जणी, हुतो ले बेसारं राजरे । तब काम चले म्हारा राजरो, म्हारा सिकसी बंबित काजरे ॥ तुमे० ७५ ॥ ऐसी मनमें तेवडी, एतो कुमर बोलायो पासरे । जेटली मन मांहि उपनी, सहु कही सुतने प्रकाशरे ॥ तुमेण ७६ ॥ बेटा तुं बापने मारदे, कीसी शस्त्र जदरने जोगरे । जिम राज पसारूं तो जणी, मीट जावे पुःखने शोकरे ॥ तुमे० ७७ ॥ कबु हित प्यार गिण्यो नहीं, इण वंबी धणोनी घातरे। एतो किणहीसुं लाजी नहीं, तुम जोवो नारीनी वातरे ॥ तुमे० ॥ कुमर सुणी मन चिन्तवे, थातो पुष्टिणी दीसे मुझ मातरे । म्हारो पिता पुष्टी हुँतो, लोहीसु खरड्या रहेता हाथरे ॥ तुमे ए ॥ एतो ना कह्यो माता के बूरी, हा हा किम मारूं मुफ बापरे । कुमर जाण अवसर तणो, सेतो हुई रह्यो चूपचापरे ॥ तुमे० ए० ॥
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