Book Title: Jambu Charitra
Author(s): Chetanvijay
Publisher: Gulabkumari Library
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परदेशी राजाकी चौपाइ।.
हुवे थायरे ॥ तुमे ए ॥ वारमवार राणी कहे. परदेशीने बायरे । राणी उपाव करे केसो, ते सुणजो चित्त सायरे ॥ तुम० एएए ॥ एतो पहिलो सगपण पिड तणो, वली बीजो व्रतनो धाररे । तीजा तपसी वैरागोया, करुणा न थाणी लगाररे ॥ तुमे० ५०० ॥ श्रावना व्रत लिधा प, तप तेरा बेसानो कीघरे । एक उण चालीस दिना, राजा जसग नगारा दीधरे ॥ तुमे० १ ॥ दोहा ॥ राय प्रदेशी न जाणीयो, राणी तणु ए कूड । अशनादिकमें मेली', संघले वीषनुं पर ॥२॥ विधिशुं करी बिबामणा, उपर मेव्या थाल । जोजननी तैयारीयां, आबेग नूपाल ॥ ३॥ विविध परे जोजन हुंता, जीमत थाइ सहेर । राय प्रदेशी जाणीयो, राणी दीधो जहेर ॥४॥ जहर उतारण विधि घण), जाणे नूपाल । धीक २ इण संसारने, जीवो केता काल ॥ ५॥ विष निवारण मुदडी, हुती नृपनी पास । परजव उपर मांडीयो, जारे किसी जीवणरी श्राश ॥ ६ ढाल १७ मी बेबे मुनिवर वहोरण पांगुयोरे एदेशी ॥ राजा उठ्यो वेग
(१६)
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