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परदेशी राजाकी चौपाई |
राय कहे मुनिवर जणी ए, परखदा थाइ मिली घणी ए । थे हो अवसरना जाए ए. मुने बोट्या बो करडी वाण ए ॥ १० ॥ यह देख परखदा लोक ए, थांने मूरख कदेणो जोग ए । गुरु कहे राजा आप एटली ए, परखदा चाली बै केटली ए ॥ १५ ॥ हां स्वामी जाएं ते सार ए, परखदा चाली है चार ए । नाम कहे किसा २ ए, ते राजा कहे दिवे तिसा ए ॥ २० ॥ त्री गांधा पूर्व ब्राह्मण ती ए, कृषीश्वरनी चोथी जणी ए । गुरु कड़े तुं जाणे इस्यो ए, ए चारि अपराध्यांने दंड किस्यो ॥ २१ ॥ हां खामी जांएं दंड ए, अपराध्यांनो प्रचंड ए । राजानो खून करे तरे ए, बेदी जीव काया न्यारा करे ए ॥ २२ ॥ न्यातनो अपराधी थाय ए, तिसे वाले तिपायें लगायए । ब्राह्मणनो खूनी घणो ए, लंबन देवे श्वान कागा पग तो ए ॥ २३ ॥ के कुंडलनें आकार ए, दीजे दाग मध्य निलाड ए । निरजंबे वारमवार ए, काढीजे न्यातसुं बहार ए ॥ २४ ॥ रुषी श्वरासुं वांका व ए, ज्यांने उढ मूरख इस्यो कड़े ए| गुरु कहे वचन तें ना सह्यो ए, राजा
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