Book Title: Jambu Charitra
Author(s): Chetanvijay
Publisher: Gulabkumari Library
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परदेशी राजाकी चौपाइ । १०७ राजा हरख्यो तेह ॥ ७ ॥ दोहा ॥ परदेशी प्रतिबोधीयो, सांजली एह दृष्टन्त । देत युगत करी तारीयो, मिलीया केसी सन्त । ए ॥ लोह वाणीये जीम कस्यो, तिम ढुं न करूं स्वाम । तुम सरिखा गुरु नेटिया, सही सुधरसी काम ॥ ए ॥ स्वामी थे मोटा पुरुष, मुफ मना मेटी ज्रान्त हिवे कृपा करी धरमनो, यो उपदेश महान्त ॥ ए१ ॥ मुनिवर दीधी देशना, मोटी परखदा मांद । मोटाई मंडाण करी, सुणतां बहु सुख थाय ॥ ए५ ॥ ढाल १३ मी प्रति बुफोरे सही मानव अवतार ॥अहनी.देशी ॥ चेतन चेतोरे दे मुनिवर उपदेश, राखो श्रद्धा धरमनी। चेतन । परखो देव गुरु धर्म, मेटो माया जरमनी ॥ चे ए३ ॥ नविजन चेतोरे मनुष जमारो पाय, परमादे पडजो मति । चे। जरा रोग लगे थाय, सेग रहेजो सों सथो ॥ चे० ए४ ॥ नवि० वासो वसीयो आय, जीव वटाऊ पाहुणो । चेः । चट दे जीव चली जाय, केहने साथे न जावणो ॥ चे ए५ ॥ नवि० तन मुरग मति आण, एहनी मकरी तुं चाकरी । चे ।
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