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जम्बु चरित्र ।
जम्बु पीछे जावे झान। दशें बोल बिछेदें जाय ताको नाम कहो सुन राय ॥ ५॥ एक बोल मन पर्यव शान, जो परमा अवधी जान । पुलाग लवधी तीजो कहें, एनी ज्ञान नही कबु रहें ॥६ थाहारक शरीर नहि जवे, चौथा बोल कहा मै तवे। खायक समकित पांचम नही, हा उपसांत मोहन कही ॥ ७॥ ग्यारमा गुण गणा जाय जिन कल्पीको मार्ग न थाय । सप्तम बोल नही रहे कोय, ज्ञान बिना कटु सिद्ध न होय ॥ ॥ त्रिकरण सञ्जम मन वचकाय, लेवें पालें जे मुनि राय । श्हबी बोल जम्बु तक रहा, बोल शागारमा इन विध कहा ॥ ए॥ केवल झानकी प्राप्ति न होय नवमो बोल कहावे सोय । जम्बु पीछे केवल गया तो मत गड़ो मुनिवर दया ॥ १०॥ दशमा बोल मोक्ष पद जान, श्रेणिकसुं कहते नगवान । श्ह दश बचन गया बिछेद, सुद्ध चेतना जाने नेद ॥११ दोहा ) हे श्रेणिक जम्बु तणा, पांचे जवकी बात ए दृष्टान्त संखेप सुं, जानोगे विख्यात ॥ १५ ॥ जम्बु चरित्र ने विषै, बहुत बात विस्तार । यहां संखेपे जानियो, दया धरम चितधार ॥ १३॥ जम्बु
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