________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
परदशी राजाकी चौपाइ।
माय ॥ ए४ ॥ कोटवाल एक चोरटा, आणी सुंग्यिो माय । में पारख करिवा नणी, खंड कीधा तप दोय ॥ एy ॥ तो पण जीव न दखियो. जब खड कीना चार । आठ साल संख्या किया, पण जीव न दिग न्यार ॥ ए६ ॥ जीव निकलतो दिग्वतो, तो में मानतो संत । तविण दिवा जाणीयो, म्हारो मत तंत ॥ ए॥ ढाल १० मी ॥ गुरु कहे राजा तुं एडवो ए, कीयाग मूरख जेहवो ए। चलतो राजा कहे एम ए, सामी कठीयारा मूरख केम ए ॥ ए७ ॥ गुरु कहे चाज लगाय ए, सांजल परदेशी राय ए। कठीयारा अटवी वाटमें ए, नला मिल च या काठन ए ॥ ए ॥ श्रया अटवी मांहि ए, मसलत कीधी मांहो मांहि ए । हम सब चल जीतरी ए, कठीयारा मिल एकण नणी ए ॥ ३० ॥ अमें नारी ले आवोयें जेटले ए, जोजन तैयार करें तटले ए। लाकडी थोडी ५
आपशु ए, थारी नारी करीने थापशु ए ॥१॥ तुं रहे प्रमादमें लाग ए, तो बूऊ जावेली बाग ए। तो लिजे काष्ठ अरणी सुं काढ ए, किजे
For Private and Personal Use Only