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जम्मु चरित्र ।
मन वच काया सुद्ध है, पालो आप सुजान ॥ एवं जम्बु सोल बरसां लगे, कीयो गृहस्था बास । सतरमे बरसे लियो, सञ्जम उत्तम खास ॥ ए॥ सञ्जम ले वहु तप करें, बिचरें बातम जाव । अनेक नेद ने तप तणा, तिनसुं राग्वे चाव ॥ एप चौपाई ) तप करते नित बहु उजमाल, अष्टम दशम पुआल । मास दामन तप करते जान, मास क्षमन साधे गुणखान ॥ ७ ॥ बीश बरस बन मस्थे रहें, विचरें मुनि परीसह सहें । शुक्ल ध्यान ने जोगें जान, उपज्यो निर्मल केवल ज्ञान ॥ ५०० बर्ष चमालिश केवल पाल, असी बरसनो आऊ टाल । सब पुखनो क्षय करस्ये जवें, मोद परापत थासे तवें ॥१॥ वीर कहें श्रेणिक सुंघात, हम सुं चौसठ बरस विख्यात । पावें जम्बु केवल ज्ञान केवल पाल जाय शिव थान ॥ ॥ हमसे पढ़ें बारमें साल, गौतम केवल होय बिसाल । पीले आठ बरस जव जाय, केवल पद सौधर्मा पाय ३॥ हम थी बीस बरस जब थया, सुधर्म केवलि मुक्त गया। पहें बरस चमालिश ताम, केवल पालें जम्बु स्वाम ॥ ४ ॥ श्रेणिकसुं कहते जगवान
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