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गए चश्त्र।
२६ ॥ कहन लगी देवता दिया, जिसी देवसुं तेने लिया। मोहर श्क मांगी तें जोय, मैंने मांगी मोहर दोय ॥ २७ ॥ हमने तुऊसो छूना लश्, तव तो मै धनवन्ती नइ । बुद्धी सुनके इषा धरी फिर गणपतकी सेवा करी ॥ २७ ॥ बहमास प्रस्त्र तव थया, मांगो तुम कीया मे दया। स्वामी तुम थागसमे कही, मेरी थांख एक खो सही ए कानी करो देवता मुझे, मेतो वास की जब तुळे सवें देवता औसा किया, बुद्धीका कानी कर दिया ३० ॥ बुद्धी या पड़दे रही, तब सिडीन जाना सही । अवकी वेर दर्व बहु लियो, बुद्धीको देवत ने दियो ॥ ३१ ॥ बहुधन लालं मैजी जाय, तव गणपतके सन्मुख श्राव । सेवा करी रिजा देव तव गणेश तुगे ततखेव ॥ ३५ ॥ क्या मांगे हैं तूं मुफ पास, ते तुम कहियो पूरो बास । तवते बोली दीजें देव, बुझीसो पूना ततखेव ॥ ३३ ॥ तवें देवता चूना दिया, दोनो आँखज अन्धी किया मोहर खोय आंखवी गया, तव सिद्धीको बहु उख जया ॥ ३४ ॥ तैसे स्वामी करते काम, क्यों बोड़ो हम जैसी बाम । दिदा गहो मुगतके काज, नही
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