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10.सुपपाउडर तथा सुपक्युब्ज- इसम मा मुगा कारसआताहा 11. पेप्सीन (साबुदाना की वेफर) - रतालु नाम के जमीनकंद के रस से बनती है। रस के कुंड में असंख्य कीड़े आदि जन्तु पैर से कुचल दिए जाते हैं। उस रस के गोल-गोल दानों को साबुदाना कहते हैं। इसमें अनंतकाय और असंख्य त्रस जंतुओं का कचूमर निकलता है। 12.टुथ पेस्ट - प्राय: सभी में अंडे का रस, हड्डी का पाउडर तथा प्राणिज ग्लिसरीन की मिलावट होती हैं। इसके स्थान पर वज्रदन्ती, बैद्यनाथ, लाल दंत मंजन, विक्को, हों, काले मंजन एवं दंतेश्वरी आदि का उपयोग करें। 13.स्नान के साबुन- इसमें अधिकतर प्राणिज चर्बी होती है। 14.लिप्स्टीक,शेम्पू - इसमें जानवरों की हड्डी का पाउडर, लाल खून, चर्बी, जानवरों के निचोड़ का रस होता है। इन सबकी जाँच सुअर, चूहे, बंदर आदि की आँखों में की जाती है जिससे वे अंधे हो जाते हैं। 15. ब्रेड-पाव - इसमें अभक्ष्य मैदा, ईयल जैसे अनेक कीड़ों का नाश, खमीर बनाते समय त्रस जीवों का अग्नि में संहार तथा पानी का अंश रह जाने से बासी आटे में करोड़ों जीव(बेक्टीरिया) उत्पन्न हो जाते हैं। जयणा- साहेबजी.! आज तक मैं अपने आप को शाकाहारी ही समझती थी। परंतु आज मुझे पता चला कि आज दिन तक मैनें बड़े चाव से अपनी अज्ञानता के कारण मांसाहार का भक्षण किया है। साहेबजी- जयणा! अज्ञानता में किए गए पापों का फल इतना नहीं भुगतना पड़ता। परंतु ज्ञान प्राप्त होने के बाद भी यदि हम वही कार्य करते रहें तो हमें नरक-निगोद में जाने से कोई नहीं रोक सकता।। जयणा- साहेबजी.! मैं पूरी कोशिश करूँगी कि अब से मैं एकदम शुद्ध शाकाहारी भोजन कर सकूँ। साहेबजी- जयणा! अब तक तो मैंने तुम्हें बाहरी पदार्थों के बारे में बताया है। परंतु भोजन शुद्धि में घर में बनने वाली वस्तुओं में भी हमें कुछ सावधानियाँ रखनी पड़ती है अन्यथा खाते समय अथवा बनाते समय हमारी असावधानी उस भोजन को अभक्ष्य बना देती है। जयणा- साहेबजी.! ये सावधानियाँ कौन-कौन सी है? साहेबजी- जयणा! जिसके दो भाग होते है वैसे धान्य, जैसे कि मूंग, चणा, तुअर, मसुर, मेथी, वटाणा, उड़द एवं इनकी दाल तथा आटा। जो वृक्ष के फल के रुप में न हो, जिसे पिसने से तेल नहीं निकलता, जिसकी दाले बनती हो तथा जिसके दो भाग के बीच में पड़ हो ऐसी सारी चीज़े द्विदल कहलाती है। इन्हें कच्चे दूध, दही, छाछ (गोरस) के साथ नहीं खा सकते क्योंकि गोरस के मिश्र होते ही उनमें असंख्य बेइन्द्रिय जीवों की उत्पत्ति होती हैं।
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