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डॉली की शादी तय कर देना चाहते थे। एक दिन दोनों इसी विषय में शादी का रिश्ता तय करने बाहर गए हुए थे तब चान्स मिलने पर डॉली ने समीर को फोन किया।) समीर - डॉली! वॉट हेप्पन्ड? कहाँ हो तुम? कॉलेज-क्लास कहीं भी नहीं आती। तुम्हारी फ्रेण्डस् को पूछ-पूछ कर थक गया हूँ। फोन करता हूँ तो मोबाईल स्वीच ऑफ आता है। (डॉली सिर्फ रोती है।) समीर - डॉली, स्वीट हार्ट क्या हुआ, एक बार कहो तो सही। डॉली - समीर! मॉम-डेड को हमारे बारे में सब कुछ पता चल गया है। उस रात मॉम ने हमारी सारी बातें सुन ली थी। अब वे मेरी शादी के लिए रिश्ता ढूँढ़ रहे हैं। वे मेरी शादी करवा देंगे। समीर प्लीज़ कुछ करो। यदि मेरी शादी तुम्हारे साथ नहीं हुई तो मैं ज़हर खाकर मर जाऊँगी। समीर - क्या ऽऽऽ? डॉली तुम टेन्शन मत लो। मैं ये कभी नहीं होने दूंगा। मैं आज रात को 11 बजे तुम्हारे घर के नीचे तुम्हें लेने आऊँगा। तुम तैयार रहना। डॉली- ठीक है समीर! मैं तुम्हारा इन्तजार करूँगी, बॉय।
(फोन रखते ही डॉली ने फटाफट अपना बेग भर लिया। साथ ही अपनी मॉम के कबर्ड से सारे पैसे तथा उसकी शादी के लिए उसकी मॉम ने जो ज्वेलरी बनाई थी वह सब भी बेग में भर ली। बाद में कबर्ड
आदि पहले की तरह एकदम व्यवस्थित बंद कर दिया ताकि किसी को कुछ पता न चले। अपना बेग बाथरुम में छुपाकर डॉली अपने घर की डुप्लीकेट चाबी लेकर अपने रुम में जाकर सो गई और शाम होने का इंतजार करने लगी। इस तरफ आदित्य और सुषमा बहुत खुश थे क्योंकि डॉली का रिश्ता लगभग तय ही था। बस कल लड़का डॉली को देखने आने वाला था पर उन्हें क्या पता था कि उनकी खुशी के विरुद्ध उनकी बेटी ने उनके सारे सपने कुचलकर, एक मुसलमान के साथ भागकर जाने की पूरी प्लानींग बना ली है।
प्लानींग के अनुसार समीर ठीक 11 बजे डॉली के घर के नीचे आ गया। डॉली भी पहले से तैयार ही थी। उसने रस्सी के सहारे खिड़की से अपना बेग समीर को दिया और खुद डुप्लीकेट चाबी से घर का दरवाज़ा खोलकर एक बार भी अपने मम्मी-पापा के बारे में सोचे बिना हमेशा के लिए उस घर को छोड़कर समीर के साथ भाग गई। दूसरे दिन सुबह सुषमा और आदित्य पर दु:ख का पहाड़ टूट गया। जब उन्होंने डॉली को अपने कमरे में नहीं देखा और उसका लिखा लेटर उनके हाथ में आया। लेटर में डॉली ने स्पष्टतया यह लिख दिया था किमॉम-डेड,
प्लीज़ आप लोग मुझे थोड़ा भी सुखी देखना चाहते हो तो मुझे ढूँढने की कोशिश भी मत करना।
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